Wp/mag/पच्छिमी चम्पारण मण्डल
पच्छिमी चम्पारण मण्डल 𑂣𑂒𑂹𑂓𑂱𑂧𑂲 𑂒𑂧𑂹𑂣𑂰𑂩𑂝 𑂧𑂝𑂹𑂙𑂪 | ||
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बिहारके मण्डल | ||
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निर्देशाङ्क (बेतिया): 26°48′N 84°30′E / 26.800°N 84.500°Eनिर्देशाङ्क: 26°48′N 84°30′E / 26.800°N 84.500°E | ||
देश |
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राज्य |
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प्रमण्डल | तिरहुत | |
मुख्यालय | बेतिया | |
तहसील | : 18 | |
सरकार | ||
• लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | पश्चिम चम्पारण, वाल्मीकिनगर | |
• विधानसभा क्षेत्र | वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागञ्ज, बगहा, लौरिया, नौतन, चनपटिया, बेतिया, सिकटा | |
क्षेत्रफल | ५,२२८ किमी२ (Formatting error: invalid input when rounding वर्गमील) | |
• क्रम | १ (बिहारमे) |
पच्छिमी चम्पारण (पश्चिम चम्पारण जिला; भोजपुरी: 𑂣𑂒𑂹𑂓𑂱𑂧𑂲 𑂒𑂧𑂹𑂣𑂰𑂩𑂝 𑂧𑂝𑂹𑂙𑂪 ) बिहारके तिरहुत प्रमण्डलके अन्तर्गत भोजपुरीभाषी मण्डल हे । हिमालयके तराई प्रदेशमे बसल ई इतिहासिक मण्डल जल आउ वनसम्पदासे पूर्ण हे । चम्पारणके नाम चम्पा + अरण्य से बनलहे जेकर अर्थ होवहे- चम्पाके पेड़से आच्छादित जङ्गल । बेतिया मण्डलके मुख्यालय नगर हे । बिहारके ई मण्डल अपन भुगोलिक बिशेषता आउ इतिहासला बिशिष्ट स्थान रखहे । महात्मा गान्धी हियेँसे अङ्ग्रेजके बिरुद्ध नील आन्दोलनसे सत्याग्रहके मशाल जलयलन हल ।
इतिहास
[edit | edit source]ऐतिहासिक दृष्टिकोणसे पश्चिमी चम्पारण एवं पूर्वी चम्पारण एक हे । चम्पारणके बाल्मिकीनगर देवी सीताके शरणस्थली होवेसे अति पवित्र हे ओहैँ दोसरा दन्ने गान्धीजीके प्रथम सत्याग्रह भारतीय स्वतन्त्रताके इतिहासके अमूल्य पन्ना हे । राजा जनकके समय ई मिथिला प्रदेशके अङ्ग हलै जे बादमे छठा शताब्दी ईसापूर्वमे वज्जिके साम्राज्यके भाग बन गेलै । अजातशत्रु द्वारा वज्जिके जीते जायेके बाद ई मौर्य वंश, कण्व वंश, शुंग वंश, कुषाण वंश एवं गुप्त वंशके अधीन रहलै । वर्ष ७५० से ११५५ के बीच पाल वंशके चम्पारण पर शासन रहलै । एकर बाद चम्पारण कर्णाट वंशके अधीन हो गेलै । बादमे वर्ष १२१३ से १२२७ ईस्वीके बीच बङ्गालके गयासुद्दीन एवाज नरसिंह देवके हराके मुस्लिम शासन स्थापित कैलकै । मुसलमानके अधीन होवेपर एवं ओकरा बादो हियाँ स्थानीय क्षत्रपके सीधा शासन रहलै ।
मुगल कालके बादके चम्पारणके इतिहास बेतिया राजके उदय एवं अस्तसे जुड़ल हे । बादशाह शाहजहाँके समय उज्जैन सिंह आउ गज सिंह बेतिया राजके नीँव डाललन । मुगलके कमजोड़ होवेपर बेतिया राज महत्वपूर्ण बन गेलै आउ शानो-शौकतला निम्मन ख्याति अर्जित कैलकै । १७६३ ईस्वीमे हियाँके राजा धुरुम सिंहके समय बेतिया राज अङ्ग्रेजके अधीन काम करे लगलै । एकर अन्तिम राजा हरेन्द्र किशोर सिंहके कौनो पुत्र न होवेसे १८९७ मे एकर नियन्त्रण न्यायिक संरक्षणमे चले लगलै जे अखनितक कायम हे । हरेन्द्र किशोर सिंहके दोसर रानी जानकी कुँवरके अनुरोध पर १९१० मे बेतिया महलके मरम्मत करावल गेलै हल । बेतिया राजके शानके प्रतीक ई महल आज ई नगरके मध्यमे एकर गौरवके प्रतीक बनके खड़ा हे ।
उत्तरप्रदेश आउ नेपालके सीमासे लगल ई क्षेत्र भारतके स्वाधीनता सङ्ग्राम खन्नि बड़ी सक्रिय रहलै हे । स्वतन्त्रता आन्दोलन खन्नि चम्पारणेके एक रैयत श्री राजकुमार शुक्लके आमन्त्रण पर महात्मा गान्धी अप्रैल १९१७ मे मोतिहारी ऐलन आउ नीलके खेतीसे त्रस्त किसानके उनकर अधिकार देलौलन । अङ्ग्रेजके समय १८६६ मे चम्पारणके स्वतन्त्र इकाई बनौलक हल । प्रशासनिक सुविधाला १९७२ मे एकर विभाजन करके पूर्वी चम्पारण आउ पश्चिमी चम्पारण बना देल गेलै ।
सम्बन्धित लेख
[edit | edit source]सन्दर्भ
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