Wp/mag/समुद्रगुप्त
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महाराजाधिराज | |
गुप्त साम्राज्य के प्रतीक, गरुड़ स्तंभ के साथे समुद्रगुप्त के सिक्का । | |
चौथा गुप्त सम्राट | |
ल. 335/350-375 | |
पूर्ववर्ती | चन्द्रगुप्त प्रथम |
उत्तरवर्ती | चन्द्रगुप्त द्वितीय या रामगुप्त |
जीवनसङ्गी | दत्तादेवीTemplate:Ifsubst |
सन्तान | चन्द्रगुप्त द्वितीय, रामगुप्त |
घराना | गुप्त राजवंश |
पिता | चन्द्रगुप्त प्रथम |
समुद्रगुप्त (राज 335-375 ईस्वी) गुप्त राजवंश के दोसर राजा आउ चन्द्रगुप्त प्रथम के उत्तराधिकारी हलै आउ पाटलिपुत्र उनकर साम्राज्य के राजधानी हलै । उनकर एक नाम अशोकादित्य हलै ।[1][2][3][4][5][6] ऊ वैश्विक इतिहास मे सबसे बड़ आउ सफल सेनानायक आउ सम्राट मानल जा हलै । समुद्रगुप्त, गुप्त राजवंश के चौथा शासक हलै, आउ उनकर शासनकाल भारत ला स्वर्णयुग के शुरूआत कहल जा है । समुद्रगुप्त के गुप्त राजवंश के महानतम राजा मानल जाता है । ऊ एक उदार शासक, वीर योद्धा आउ कला के संरक्षक हलै । उनकर नाम जावा पाठ मे तनत्रीकमन्दका के नाम से प्रकट है । उनकर नाम समुद्र के चर्चा करैत अपन विजय अभियान द्वारा अधिग्रहीत शीर्ष होवेला लेल जा है जेकर अर्थ है "महासागर" । समुद्रगुप्त के कय अग्रज भाई हलै, तैयो उनकर पिता समुद्रगुप्त के प्रतिभा के देखके उनका अपन उत्तराधिकारी नियुक्त कैकल । इससे कुछ के मानना है कि चन्द्रगुप्त के मृत्यु के बाद, उत्तराधिकारीला संघर्ष होलै जौनमे समुद्रगुप्त एक प्रबल दावेदार बनके उभरलै । कहल जा है कि समुद्रगुप्त शासन पावेला अपन प्रतिद्वन्द्वी अग्रज राजकुमार काछा के हरौलकै हल । समुद्रगुप्त के नाम सम्राट अशोक के साथे जोड़ल जा रहलै है, हलांकि ऊ दोनो एक-दोसरा से बिल्कुल भिन्न हलै । एक अपन विजय अभियान ला जानल जा हलै आउ दोसर अपन धुन ला जानल जा हलै ।
इहो देखी
[edit | edit source]सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ रामदेव, प्रो. आचार्य; विद्यालंकार, सत्यकेतु. भारतवर्ष का इतिहास ( तृतीय खण्ड : बौद्ध काल ) (Hindi मे). 3. हरिद्वार: गुरूकुल विश्वविद्यालय. प॰ 41.
अशोकादित्य – इस सम्राट् का वास्तविक नाम समुद्रगुप्त है । यह गुप्त वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त का पुत्र था । कलियुग राजवृत्तान्त के अनुसार इसने अपने पिता को मार कर राज्य प्राप्त किया । यह भारतवर्ष का एक परम प्रतापी सम्राट् हुआ है । इस के प्रताप को देख कर विन्सैण्ट ए. स्मिथ ने इसे ' भारतीय नैपोलियन ' की उपाधि दी है । इस का वर्णन हरिषेण द्वारा उत्कीर्ण शिलालेखों , कलियुग राजवृत्तान्त तथा पुराणों में प्राप्त होता है ।
- ↑ "Journal of the Jain Vishva Bharati". Journal of the Jain Vishva Bharati (Hindi मे). Jaina Viśva Bhāratī. 1991.
कलियुग राजवृत्तान्त ' के अनुसार समुद्रगुप्त की एक उपाधि अशोकादित्य भी थी।
- ↑ Goyala, Śrīrāma (1987). Samudragupta parākramāṅka (Hindi मे). पप॰ 91–93.
- ↑ विद्यालंकार, सत्यकेतु (1971). मौर्य साम्राज्य का इतिहास. Śri Sarasvatī Sadan. पप॰ 72–78.
दूसरा अशोक गुप्त वंश में हुआ था , जो गुप्त वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त का पुत्र था । यह समुद्रगुप्त भी कहाता था , और कलियुगराजवृत्तान्त में इसे ' अशोकादित्य ' भी कहा गया है । सेण्ड्राप्टिस समुद्रगुप्त जिस सेण्ड्राप्टिस ने तक्षशिला में सिकन्दर के साथ भेंट की थी वह समुद्रगुप्त था , चन्द्रगुप्त नहीं । इसी समुद्रगुप्त ने म्लेच्छ ( ग्रीक आदि ) सेनाओं की सहायता से चन्द्रगुप्त की हत्या कर राजसिंहासन प्राप्त किया था । गुप्तवंशी समुद्रगुप्त ( अशोकादित्य ) का साम्राज्य अवश्य अत्यन्त विस्तृत था ।
- ↑ Sathe, Shriram (1987). Dates of the Buddha. Bharatiya Itihasa Sankalana Samiti. प॰ 112.
Samudragupta , like all the Guptas , had a title ending in Aditya ; he was Ashokaditya .
- ↑ Saraswati, Prakashanand. The True History and the Religion of India. प॰ 339.
Samudragupt was called Samudragupt Ashokaditya.