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गुप्त साम्राज्य
गुप्त साम्राज्य
240 ई.–550 ई.
गुप्तवंश वंशके मानचित्रमे स्थान
अपन चरमोत्कर्षके समय गुप्त साम्राज्य
राजधानी पाटलिपुत्र
भाषा संस्कृत
धार्मिक समूह हिन्दुधर्म
बौद्धधर्म[1]
शासन पूर्ण राजशाही
महाराजाधिराज
 -  240 ई–280 ई श्रीगुप्त
 -  style="padding-left:0;text-align:left;"|319 ई–335 ई चन्द्रगुप्त प्रथम
 -  style="padding-left:0;text-align:left;"|540 ई–550 ई विष्णुगुप्त
ऐतिहासिक युग प्राचीन भारत
 -  स्थापित 240 ई.
 -  अन्त 550 ई.
क्षेत्रफल
 -  style="padding-left:0;text-align:left;"| 400 ईस्वी. [2]
(शिखर क्षेत्र के उच्चस्तरीय अनुमान)
३५,००,००० किमी ² (१३,५१,३५८ वर्ग मील)
 -  style="padding-left:0;text-align:left;"| 440 ईस्वी [3]
(शिखर क्षेत्र के निम्न-अन्त अनुमान)
१७,००,००० किमी ² (६,५६,३७४ वर्ग मील)
पूर्ववर्ती
अनुगामी
महामेघवाहन वंश
कण्व वंश
कुषाण वंश
भारशिव वंश
शक
गुप्तवंश (मागध अथवा मालव वंश)
मौखरि वंश
मैत्रक राजवंश
पुष्यभूति राजवंश
पाल राजवंश
वर्मन राजवंश
कलचुरि राजवंश
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गुप्त राजवंश या गुप्त साम्राज्य (ल. 240/275–550 इस्वी) प्राचीन भारत के एक भारतीय साम्राज्य हलै । जे लगभग सम्पूर्ण उत्तर भारत पर शासन कैलकै ।[4] इतिहासकार सब द्वारा इ अवधि के भारत के स्वर्ण युग मानल जा है ।[5][note 1]

मौर्य वंश आउ शुंग वंश के पतन के बाद दीर्घकाल मे हर्ष तक भारत मे राजनीतिक एकता स्थापित न रहलै । कुषाण आउ सातवाहन राजनीतिक एकता लावे का प्रयास कैलकै । मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरा शताब्दी ईस्वी मे तीन राजवंशो के उदय होलै जौन मे मध्य भारत मे नाग शक्‍ति, दक्षिण मे वाकाटक आउ पूर्वी मे गुप्त वंश प्रमुख है । मौर्य वंश के पतन के पश्चात् नष्ट होलै राजनीतिक एकता के पुनः स्थापित करेके श्रेय गुप्त वंश के है ।

इ काल के अजन्ता चित्रकला

गुप्त साम्राज्य के नींव तीसरा शताब्दी के चौथे दशक मे तथा उत्थान चौथा शताब्दी के शुरुआत में होलै । गुप्त वंश के प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश आउ बिहार मे हलै । साम्राज्य के पहिल शासक चन्द्रगुप्त प्रथम हलै, जे विवाह द्वारा लिच्छवी के साथे गुप्त के एकजुट कैलकै । उनकर पुत्र प्रसिद्ध समुद्रगुप्त विजय के माध्यम से साम्राज्य के विस्तार कैलकै । ऐसन लगहै कि उनकर अभियान उत्तर आउ पूर्वी भारत मे गुप्त शक्ति के विस्तार कैलकै आउ मध्य भारत आउ गंगा घाटी के कुलीन राजा आउ उसब क्षेत्र के वस्तुतः समाप्त कर देलकै जे तखनी गुप्त वंश के प्रत्यक्ष प्रशासनिक नियंत्रण मे आ गेलै हल । साम्राज्य के तीसरा शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय (या विक्रमादित्य, "शौर्य के सूर्य") उज्जैन तक साम्राज्य के विस्तार करेला मनावल गेलै, लेकिन उनकर शासनकाल सैन्य विजय के तुलना मे सांस्कृतिक आउ बौद्धिक उपलब्धी सब से अधिक जुड़ल हलै । उनकर उत्तराधिकारी- कुमारागुप्त, स्कन्दगुप्त आउ अन्य - धुनास (हेफ्थालवासी सब के एक शाखा) पर आक्रमण के साथे साम्राज्य के क्रमिक निधन के देखकै । 6ठा शताब्दी के मध्य तक, जखनी राजवंश के अन्त होलै, त राज्य एक छोट आकार मे घट गेलै हल ।

इहो देखी

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सन्दर्भ

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  1. pg.17 : Gupta Empire at its height (5th-6th centuries ce) Places connected with the development of Mahayana Buddhism Places connected with the development of Tantric Buddhism Buddhist university monasteries.Ganeri, Anita (2007). Buddhism. Internet Archive. London : Franklin Watts. प॰ 17. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-0-7496-6979-9.
  2. Turchin, Peter; Adams, Jonathan M.; Hall, Thomas D (December 2006). "East-West Orientation of Historical Empires". Journal of World-Systems Research. 12 (2): 223. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1076-156X. डीओआइ:10.5195/JWSR.2006.369.
  3. Taagepera, Rein (1979). "Size and Duration of Empires: Growth-Decline Curves, 600 B.C. to 600 A.D". Social Science History. 3 (3/4): 121. JSTOR 1170959. डीओआइ:10.2307/1170959.
  4. "Gupta Dynasty – MSN Encarta".
    Archived 2009-10-29 at the वेबैक मशीन "संग्रहीत प्रति". मूल से 29 अक्तूबर 2009 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फरवरी 2021.
  5. N. Jayapalan, History of India, Vol. I, (Atlantic Publishers, 2001), 130.
  6. Jha, D.N. (2002). Ancient India in Historical Outline. Delhi: Manohar Publishers and Distributors. पप॰ 149–73. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-81-7304-285-0.


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