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Wp/mag/चन्द्रगुप्त मौर्य

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चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य

बिरला मन्दिर, दिल्लीमे एक शैलचित्र
जनम 345 ईसा पूर्व
पिप्पलिवन गणराज्य, (वर्तमान गोरखपुर क्षेत्र), उत्तरप्रदेश
मृत्यु 298 ईसा पूर्व (आयु 47–48)
आचार्य प्रभाचन्द्रके रूपमे श्रवणबेलगोला, कर्नाटक
पदवी सम्राट
उत्तराधिकारी सम्राट बिन्दुसार
धरम
जीवनसङ्गी दुर्धरा महापदमनन्दके पुत्री आउ हेलेना (सेल्यूकस निकटर के पुत्री)
लैकन बिन्दुसार

चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म : ३४५ ई॰पु॰, राज ३२१[3]-२९७ई॰पु॰[4]) मे भारतके महान सम्राट हलै । ई मौर्य राजवंशके स्थापना कैलके हल। चन्द्रगुप्त पूरा भारतके एक साम्राज्यके अधीन लावेमे सफल रहल। चन्द्रगुप्त मौर्यके राज्यारोहणके तिथि साधारणतया ३२१ ई.पू. निर्धारित कैल जाहै। ऊ लगभग २४ वर्ष तक शासन कैलके आउ ई प्रकार ओकर शासनके अन्त प्रायः २८५ ई.पू. मे होलै। भारतीय तिथिक्रमके अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्यके शासन ईपू १५३४ से आरम्भ होवहै।[5][6][7][8][9]

मेगस्थनीज चार साल तक चन्द्रगुप्तके सभामे एक यूनानी राजदूतके रूपमे सेवा देलकै। ग्रीक आउ लैटिन लेखमे, चन्द्रगुप्तके क्रमशः सैण्ड्रोकोट्स आउ एण्डोकॉटस के नामसे जानल जाहै।

चन्द्रगुप्त मौर्य प्राचीनभारतके इतिहासमे एक महत्वपूर्ण सम्राट है । चन्द्रगुप्तके सिंहासन सम्भारेसे पहिले, सिकन्दर उत्तर पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण केलकै हल, आउ ३२४ ईसा पूर्व मे ओकर सेनामे विद्रोहके चलते आगेके अभियान छोड़ देलकै, जेकरासे भारत-ग्रीक आउ स्थानीय शासक द्वारा शासित भारतीय उपमहाद्वीप वाला क्षेत्रके विरासत सीधातौर पर चन्द्रगुप्त सम्भारकै। चन्द्रगुप्त अपन गुरु चाणक्य (जेकरा कौटिल्य आउ विष्णुगुप्तके नामोसे जानल जाहै, जे चन्द्रगुप्तके प्रधानमन्त्रियो हलै) के साथे, एक नया साम्राज्य बनैलकै, राज्यचक्रके सिद्धान्तके लागू कैलकै, एक बड़ सेनाके निर्माण कैलकै आउ अपन साम्राज्यके सीमाके बिस्तार करना जारी रखकै।

सन्दर्भ

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  1. Sastri 1988, पृ॰प॰ 163–164.
  2. Majumdar, R. C.; Raychauduhuri, H. C.; Datta, Kalikinkar (1960), An Advanced History of India, London: Macmillan & Company Ltd; New York: St Martin's Press, If the Jaina tradition is to be believed, Chandragupta was converted to the religion of Mahavira. He is said to have abdicated his throne and passed his last days at Sravana Belgola in Mysore. Greek evidence, however, suggests that the first Maurya did not give up the performance of sacrificial rites and was far from following the Jaina creed of Ahimsa or non-injury to animals. He took delight in hunting, a practice that was continued by his son and alluded to by his grandson in his eighth Rock Edict. It is, however, possible that in his last days he showed some predilection for Jainism ...
  3. Kulke, Hermann; Rothermund, Dietmar (१९९८) [१९८६]. A History of India (Third Edition संस्करण). London: Routledge. पप॰ ५९. ISBN ०-४१५-१५४८१-२.Wp/mag/सीएस१ रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  4. Kulke and Rothermund १९९८:६२
  5. Proceedings and Transactions of the ... All-India Oriental Conference. All-India Oriental Conference. 1953. प॰ 257. the beginning of the Maurya dynasty comes to 1534 B. C. and that of the Gupta period to 327 B. C.
  6. The Poona Orientalist. 17-21. India. 1952. प॰ 12.
  7. "Journal of the Andhra Historical Society". Journal of the Andhra Historical Society. Madras, India: Andhra Historical Research Society, Rajahmundry, Madras. 21-24: 53. 1955. Maurya Chandragupta flourished in B. C. 1534 .
  8. Indian Eras. Kota Venkatachelam. 1956. प॰ 62. Chandragupta Maurya who lived in 1534 B. C. , is brought down to 323 B.C.
  9. Beginnings of Life, Culture, and History. Shripad Dattatraya Kulkarni. 1988. पप॰ v. Chandragupta Maurya belonged to 1534 B.C.