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Wp/mag/मगह

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मगह (तत्सम: मगध) एगो प्रदेस आउ सोलह महाजनपदमे से एगो हल, जे पूरबी गङ्गा मैदानमे अखनिके दक्खिन बिहार (बिस्तारसे पहिले) मे दुसरा नगरीकरण (६००-२०० ईसा पूर्ब) के 'महान साम्राज्य' हल । मगहपर बृहद्रथ वंश, प्रद्योत वंश (६८२-५४४ ईसापूर्ब), हर्यक वंश (५४४-४१३ ईसा पूर्ब) आउ शिशुनाग बन्स (४१३-३४५ ईसा पूर्ब) के शासन हल । ग्रामक नामक स्थानीय मुखियाके अधीन गाँओके अपन सभा होवहल । उनखर प्रसासनके कार्यकारी, न्यायिक आउ सैन्य कार्यमे बिभाजित करल गेलीहल ।

मगह जैनधरम आउ बौद्धधरमके बिकासमे महत्वपूर्ण भूमिका निभैलकै । ई उत्तरीभारतके चार महानतम सम्राज्ज, नन्द साम्राज्य (३४५-३२२ ईसा पूर्ब), मौर्य साम्राज्य (३२२-१८५ ईसा पूर्ब), शुङ्ग साम्राज्य (१८५-७८ ईसा पूर्ब) आउ गुप्त साम्राज्य (३१९-५५०), द्वारा अनुक्रमित होल । पाल साम्राज्य मगधो पर शासन करकै आउ पाटलिपुत्रमे एगो राजसी शिविर बनैले रखकै ।

बोधगयाके पीठीपति अपनेके मगधादिपति कहहलथिन आउ १३मा शताब्दी तक मगधके कुछ भागमे शासन करहलथिन ।

भूगोल

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प्रारम्भिक लौहजुगमे मगह (११००-६०० ईसा पूर्ब)
५४० ईसा पूर्बमे १६ महाजनपद अन्य राज्जके दर्शावित मानचित्र ।
मगह साम्राज्यके प्रारम्भिक बिस्तार खनि पूरुबी गङ्गाके मैदान
नन्द साम्राज्य ४५० ईसा पूर्ब वा ३४६ ईसा पूर्ब
मौर्य साम्राज्य, २५० ईसा पूर्ब
संसारमे साइक्लोपीय राजगीरके सबसे पुराना टुकड़ामे से एक, राजगीरके साइक्लोपीय भीत जे मगहके पूर्ब राजधानी राजगीरके घेरलेहल ।

अपन बिस्तार से तनिक पहिलहीँ मगह साम्राज्यके क्षेत्र क्रमशः उत्तर, पच्छि आउ पूरुदन्ने गङ्गा, सोन आउ चन्दननदी से घिरल हल, आउ बिन्ध्य पहाड़के पूरबी क्षेत्र एकर दक्खिनी सीमा बनावहलै । ई प्रकारसे प्रारम्भिक मगह साम्राज्यके क्षेत्र भारतीयराज्य बिहारके आधुनिक पटना आउ गया मण्डलके अनुरूप हल ।

बृहन्मगहके क्षेत्रमे पूरबी गङ्गाके मैदानीमे पड़ोसी क्षेत्रो शामिल हल जिनखर एगो अलगे संस्कृति आउ आस्था हल । अधिकांश दोसर नगरीकरन हिँये (५०० ईसापूर्ब) से होलहल आउ हिँयेपर जैन आउ बौद्धधरमके उदय होलैहल ।

मगध महाजनपद (ल. ७०० – ३५० ईपू)

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मगधके प्रद्योत वंश, हर्यक वंश आउ शिशुनाग वंश के विस्तार (ल. ७०० से ३५० ईपू तक)

प्रद्योत राजवंश (ल. ६८२ – ५४४ ईपू)

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प्रद्योत राजवंश प्राचीनभारतके मगधके एगो राजवंश हलै, जेकर शासन अवन्तियो हलै । एकर संस्थापक महाराजा प्रद्योत हल जे सुनीक (भविष्यपुराण, १.४ के अनुसार शुनक अथवा क्षेमक) के पुत्र (वायुपुराण) हल । प्रद्योत म्लेच्छ (हारहूण, बर्बर, यवन, खस, शक, कामस आदि) से अपन पिताके प्रतिशोध लेवेला म्लेच्छयज्ञ करेके कारण म्लेच्छहन्ता कहलैलक ।


शासक सबके सूची –[1]
प्रद्योत राजवंशके शासक सबके सूची
क्रम-सङ्ख्या शासक शासन अवधि (ई.पू) शासन वर्ष टिप्पणी
महाराजा प्रद्योत ६८२–६५९ २३ रिपुञ्जयके हत्या करेके बाद राजवंशके स्थापना कैलके ।
महाराजा पलक ६५९–६३५ २४ महाराजा प्रद्योतके पुत्र
महाराजा विशाखयूप ६३५–५८५ महाराजा पलकके पुत्र
महाराजा अजक (राजक) ५८५–५६४ २१ महाराजा विशाखयूपके पुत्र
महाराजा वर्तिवर्धन ५६४–५४४ २० महाराजा अजकके पुत्र, ऊ राजवंशके अन्तिम शासक हल आउ जेकरा बिम्बिसार द्वारा मगधके गद्दी से ५४४ ईपू मे हटा देल गेलै आउ हर्यक वंशके स्थापना कैलके ।

नन्द साम्राज्य (ल. ३४५ – ३२२ ई.पू)

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३४५/३४४ ईपू मे महापद्म नन्द नामक व्यक्‍ति नन्द राजवंशके स्थापना कैलक । पुराण मे एकरा महापद्म तथा महाबोधिवंशमे "उग्रसेन" कहल गेलै हे । ई नाई जातिसे हलै ।

नन्द साम्राज्य, अपन शिखर विस्तार पर, ल. ३२५ ईपू मे

महापद्म नन्द (ल. ३४५/३४४ ईपू) मत्स्य पुराण महापद्मके ८८ वर्ष के लम्बा शासन प्रदान करहे, जबकि वायु पुराणमे ओकर शासनकालके लम्बाई केवल २८ वर्ष बतावल गेल हे । पुराणमे आगे कहल गेल हे कि महापद्मके आठ पुत्र ओकर बाद कुल १२ वर्ष तक उत्तराधिकारमे शासन कैलक हल । महापद्म नन्दके प्रमुख राज्य उत्तराधिकारी होलन हल – उग्रसेन, पण्डूक, पाण्डुगति, भूतपाल, राष्ट्रपाल, योविषाणक, दशसिद्धक, कैवर्त आउ धनानन्द

महापद्म नन्दके महापद्म एकारट, सर्व क्षत्रान्तक आदि उपाधिसे विभूषित कैल गेल हे । महापद्मनन्द पहिल शासकहल जे गंगा घाटी के सीमा के अतिक्रमण करके विन्ध्य पर्वतके दक्षिण तक विजय पताका लहरैलकै । नन्द वंशके समय मगध राजनैतिक दृष्टिसे अत्यन्त समृद्धशाली साम्राज्य बन गेलै ।

धनानन्द (ल. ३२२ ईपू तक) धनानन्दके शासन कालमे भारत पर आक्रमण सिकन्दर द्वारा कैल गेलै । सिकन्दर के भारतसे जायेके बाद मगध साम्राज्य मे अशान्ति आउ अव्यवस्था फैलल । धनानन्द एक लालची आउ धन संग्रही शासक हलै, जेकरा असीम शक्‍ति आउ सम्पत्ति के बावजूदो ऊ जनताके विश्‍वास के नै जीत सकलक । महापद्म नन्द महान विद्वान ब्राह्मण चाणक्य के अपमानित कैलक हल । चाणक्य अपन कूटनीतिसे धनानन्द के पराजित करके सूर्यवंशी चन्द्रगुप्त मौर्यके मगधके शासक बनैलकै ।

संस्कृत व्याकरणके आचार्य पाणिनी महापद्मनन्द के मित्र हलन । वर्ष, उपवर्ष, वररुचि कात्यायन जैसन विद्वान नन्द शासनमे होलन । शाकटाय तथा स्थूलभद्र धनानन्दके जैन मतावलम्बी अमात्य हलन ।

शासकके सूची–
नन्द राजवंशके शासकके सूची
क्रम-सङ्ख्या शासक शासन अवधि (ईपू) टिप्पणी
महाराजा महापद्म नन्द ल. ३४५/३४४ ईपू से शासन कैलक ३४५ ई.पू मे राजवंशके स्थापना कैलक ।
महाराजा पण्डुकनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्द के पुत्र
महाराजा पण्डुगतिनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र
महाराजा भूतपालनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र
महाराजा राष्ट्रपालनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र
महाराजा गोविषाणकनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र
महाराजा दशसिद्धकनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र
महाराजा कैवर्तनन्द एक वर्ष शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र
महाराजा धनानन्द ल. ३२२ ईपू तक शासन कैलक महापद्म नन्दके पुत्र आउ नन्द वंशके अन्तिम शासक, चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा ३२२ ई.पू. मगधके गद्दीसे हटा देल गेलै ।

मौर्य साम्राज्य (ल. ३२२ – १८५ ई.पू.)

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३२२ ई.पू. मे चन्द्रगुप्त मौर्य अपन गुरु चाणक्य के सहायता से धनानन्द के हत्या करके मौर्यवंश के नींव डालकै हल । चन्द्रगुप्त मौर्य नन्द सब के अत्याचार आउ घृणित शासन से मुक्‍ति देलौलकै आउ देश के एकता के सूत्र मे बान्धकै आउ मौर्य साम्राज्य के स्थापना कैलकै । ई साम्राज्य गणतन्त्र व्यवस्था पर राजतन्त्र व्यवस्था के जीत हलै । ई कार्य मे अर्थशास्त्र नामक पुस्तक द्वारा चाणक्य सहयोग कैलकै । विष्णुगुप्त आउ कौटिल्य उनकर अन्य नाम हलै ।

सम्राट अशोक के मौर्य साम्राज्य, अपन शिखर विस्तार पर, २६० ई.पू. मे

चन्द्रगुप्त मौर्य (ल. ३२२–२९८ ई.पू.) चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म वंश के सम्बन्ध मे विवाद हे । ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रन्थ मे परस्पर विरोधी विवरण भेंटऽ हे । विविध प्रमाण आउ आलोचनात्मक समीक्षा के बाद ई तर्क निर्धारित होवऽ हे कि चन्द्रगुप्त पिप्पलिवन के सूर्यवंशी मौर्य वंश के हलै । चन्द्रगुप्त के पिता पिप्पलिवन के नगर प्रमुख हलै । जब ऊ गर्भे मे हलै तखन ओकर पिता के मृत्यु युद्धभूमि मे हो गेलै हल । ओकर पाटलिपुत्र मे जन्म भेलै हल तथा एक गोपालक द्वारा पोषित कैल गेलै हल । चरावाह तथा शिकारिये रूप मे राजा-गुण होवे का पता आचार्य चाणक्य कर लेलन हल तथा ओकर 'एक हजार मे कषार्पण' मे किन लेलन । तत्पश्‍चात्‌ तक्षशिला लाके सब विद्या मे निपुण बनौलन । ३२३ ई.पू. मे सिकन्दर के मृत्यु हो गेलै तथा उत्तरी सिन्धु घाटी मे प्रमुख यूनानी क्षत्रप फिलिप द्वितीय के हत्या हो गेलै ।

जौन बेरा चन्द्रगुप्त राजा बनलन हल भारत के राजनीतिक स्थिति बहुत खराब हलै । ऊ सबसे पहिले एगो सेना तैयार कैलकै आउ सिकन्दर के विरुद्ध युद्ध प्रारम्भ कैलकै । ३१७ ई.पू. तक ऊ सम्पूर्ण सिन्ध आउ पंजाब प्रदेश पर अधिकार कर लेलकै । अब चन्द्रगुप्त मौर्य सिन्ध तथा पंजाब के एकक्षत्र शासक हो गेलै । पंजाब आउ सिन्ध विजय के बाद चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य धनानन्द के नाश करने हेतु मगध पर आक्रमण कर देलकै । युद्ध मे धनाननन्द मर गेलै अब चन्द्रगुप्त भारत के एक विशाल साम्राज्य मगध के शासक बन गेलै ।

सिकन्दर के मृत्यु के बाद सेल्यूकस ओकर उत्तराधिकारी बनलै । ऊ सिकन्दर द्वारा जीतल भू-भाग प्राप्त करेला उत्सुक हलै। ई उद्देश्य से ३०५ ई.पू. ऊ भारत पर पुनः चढ़ाई कैलके । चन्द्रगुप्त पश्‍चिमोत्तर भारत के यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर के पराजित करके एरिया (हेरात), अराकोसिया (कन्धार), जेड्रोसिया पेरोपेनिसडाई (काबुल) के भू-भाग के अधिकृत करके विशाल भारतीय साम्राज्य के स्थापना कैलकै । सेल्यूकस अपन पुत्री हेलन के विवाह चन्द्रगुप्त से करा देलकै । ऊ मेगस्थनीज के राजदूत के रूप मे चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार मे नियुक्‍त कैलकै । मेगस्थनीज इण्डिका नामक पुस्तक के रचना कैलकै ।

चन्द्रगुप्त मौर्य पश्‍चिम भारत मे सौराष्ट्र तक प्रदेश जीतके अपन प्रत्यक्ष शासन के अन्तर्गत शामिल कैलकै । गिरनार अभिलेख (२५० ई.पू.) के अनुसार ई प्रदेश मे "पुण्यगुप्त वैश्य" चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यपाल हलै । ई सुदर्शन झील के निर्माण कैलकै । दक्षिण मे चन्द्रगुप्त मौर्य उत्तरी कर्नाटक तक विजय प्राप्त कैलकै ।

चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य मे काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना के मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात हलै तथा विन्ध्य आउ कश्मीर के भू-भाग सम्मिलित हलै, लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य अपन साम्राज्य उत्तर-पश्‍चिम मे ईरान से लेके पूरब मे बंगाल तथा उत्तर मे कश्मीर से लेके दक्षिण मे उत्तरी कर्नाटक तक विस्तृत कैलकै हल । अन्तिम समय मे चन्द्रगुप्त मौर्य जैन मुनि भद्रबाहु सङ्गे श्रवणबेलगोला चला गेलै हल । २९८ ई.पू. मे उपवास द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य अपन शरीर त्याग देलकै ।

सम्बन्धित लेख

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सन्दर्भ

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  1. "हिन्दी⁸ शब्दकोश". मूल से 5 मई 2016 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अप्रैल 2016.