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पाल साम्राज्य
साम्राज्य

750 ई०–1161 ई०[1]
 

 

 

पाल साम्राज्य
पाल वंशके मानचित्रमे स्थान
नौवां शताब्दी में पाल राजवंश के राज्यक्षेत्र[2][3]
राजधानी
भाषा संस्कृत,[6] Proto-Bengali[7]
धार्मिक समूह तान्त्रिक बौद्धधर्म, महायान,[8] Hinduism,[9] Shaivism[10]
शासन राजतन्त्र
सम्राट
 -  ल. 750 गोपाल (प्रथम राजा)
 -  style="padding-left:0;text-align:left;"|1139–1161 गोविन्दपाल (अन्तिम राजा)
ऐतिहासिक युग पूर्व-मध्यकालीन
 -  स्थापित 750 ई०
 -  अन्त 1161 ई०[1]
आज ईसभ देशके भाग हे:
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पाल राज्यके बुद्ध आउ बोधिसत्त्व
धर्मपाल के राज्य

पाल साम्राज्य मध्यकालीन उत्तरभारतके सबसे शक्तिशाली आउ महत्वपूर्ण साम्राज्य मानल जाहै, जे कि 750-1174 इसवी तक चलल। ई पूर्व-मध्यकालीन राजवंश हलै। ई वंश के शासक भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनेलकै। जब हर्षवर्धन काल के बाद समस्त उत्तरी भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक गहरा संकट उत्पनन्न हो गेलै, तखनी बिहार, बंगाल आउ उड़ीसा के सम्पूर्ण क्षेत्र में पूरा तरह अराजकत फैलली हल। पाल साम्राज्य के नींव 750 ई. में राजा गोपाल पाल डालके। बतावल जा है कि उ क्षेत्र में फैलल अशान्ति के दबावेला कुछ प्रमुख लोग ओकरा राजा के रूप में चुनकै। इ प्रकार राजा के निर्वाचन एगो अभूतपूर्व घटना हलै। एकर अर्थ शायद इ है कि गोपाल उ क्षेत्र के सब महत्त्वपूर्ण लोग का समर्थन प्राप्त करे में सफल हो सकले आउ एकरा से ओकरा अपन स्थिति मजबूत करे में काफी सहायता मिलले।

ई राज्यमे वास्तु कलाके बड़ी बढ़ावा मिललै । पाल राजाके कालमे बौद्धधर्मके बड़ी बढ़ावा मिललै । पाल राजा हिन्दु हलथिन परन्तु ऊ बौद्धधर्मोके मानेवाला हलथिन । पाल राजाके समयमे बौद्धधर्मके बड़ी संरक्षण मिललै । पाल राजा बौद्धधर्मके उत्थानला बड़ीमनी कार्य कैलन जे कि इतिहास मे अङ्कित है । पाल राजा हिन्दुधर्मके आगे बढ़ावेला शिव मंदिरके निर्माण करौलन आउ शिक्षाला विश्वविद्यालयके निर्माण करौलन ।

पालवंशके शासक

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विभिन्न पुरालेख आउ अभिलेख के व्याख्या से इतिहासकार पाल राजाके कालक्रमके ई तरह से अन्दाज कैलन हे:[11]

नाम आवधि
गोपाल (पाल) 750-770
धर्मपाल 770-810
देवपाल 810-850
शूर पाल महेन्द्रपाल 850-854
विग्रह पाल 854-855
नारायण पाल 855-908
राज्यो पाल 908-940
गोपाल 2 940-960
विग्रह पाल 2 960-988
महिपाल 988-1038
नय पाल 1038-1055
विग्रह पाल 3 1055-1070
महिपाल 2 1070-1075
शूर पाल 2 1075-1077
रामपाल 1077-1130
कुमारपाल 1130-1140
गोपाल 3 1140-1144
मदनपाल 1144-1162
गोविन्द पाल 1162-1174

पाल राजवंश के पश्चात सेन राजवंश बंगाल पर १६० वर्ष राज कैलक।

धर्मपाल

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गोपाल के बाद ओकर पुत्र धर्मपाल ७७० ई. में सिंहासन पर बैठकै। धर्मपाल ४० वर्ष तक शासन कैलकै। धर्मपाल कन्‍नौज ला त्रिदलीय संघर्ष में उलझल रहलै। उ कन्‍नौज के गद्दी से इन्द्रायुध के हराके चक्रायुध के आसीन केलकै। चक्रायुध के गद्दी पर बैठावे के बाद उ एक भव्य दरबार के आयोजन केलकै तथा उत्तरापथ स्वामिन के उपाधि धारण केलकै। धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी हलै। उ काफी मठ आउ बौद्ध विहार बनवौलकै। धर्मपाल एक उत्साही बौद्ध समर्थक हलै। ओकर लेख में ओकरा परम सौगात कहल गेलै हे। उ विक्रमशिला आउ सोमपुरी प्रसिद्ध बिहार के स्थापना केलकै। उ भागलपुर जिला में स्थित विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय के निर्माण करवौलकै हल। ओकर देखभाल ला सौ गाँव दान में देलकै हल। उल्लेखनीय है कि प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एवं राष्ट्रकूट राजा ध्रुव धर्मपाल के पराजित केलकै हल।

देवपाल

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धर्मपालके बाद ओकर पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठकै । एकर अपन पिताके अनुसार विस्तारवादी नीतिके अनुसरण केलकै । एकरे शासनकालमे अरब यात्री सुलेमान ऐलै हल । ऊ मुङ्गेरके अपन राजधानी बनौलकै । ऊ पूर्वोत्तरमे प्राज्योतिषपुर, उत्तरमे नेपाल, पूर्वीतटे उड़ीसा तक विस्तार केलकै। कन्नौजके सङ्घर्षमे देवपाल भाग लेलकै हल । ओकर शासनकालमे दक्षिणपूर्व एसियाके साथो मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहलै । ऊ जावाके शासक शैलेंद्र के आग्रह पर नालन्दामे एक विहारके देखरेखला ५ गाँव अनुदानमे देलकै ।

देवपाल ८५० ई तक शासन केलकै हल। देवपाल के बाद पाल वंश के अवनति प्रारम्भ हो गेलै । मिहिरभोज आउ महेन्द्रपाल के शासनकाल में प्रतिहारों पूर्वी उत्तर प्रदेश आउ बिहार के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लेलकै ।

महीपाल

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  • ११वा सदीमे महीपाल प्रथम ९८८ ई-१०३८ ई तक शासन केलकै । महीपालके पाल वंशके द्वितीय संस्थापक कहल जाहै । ऊ समस्त बङ्गाल आउ मगध पर शासन केलकै ।
  • महीपालके बाद पाल वंशीय शासक निर्बल हलै जेकरासे आन्तरिक द्वेष आउ सामन्त विद्रोह उत्पन्‍न कर देलकै हल। बंङ्गालमे केवर्त, उत्तरी बिहार मॆम सेन आदि शक्‍तिशाली हो गेलै हल ।
  • सेन शसक वल्लासेन आउ विजयसेनो‌‌ अपन सत्ता के विस्तार केलकै ।
  • ई अराजकताके परिवेशमे तुर्कके आक्रमण प्रारम्भ हो गेलै ।

चित्रावली

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नालन्दाके महाविहार इतिहासके प्रथम महाविहारमे गिनल जाहै । पालवंशके शासनकालमे ई महाविहार अपन यशके शिखर पर हलै ।
नालन्दाके महाविहार इतिहासके प्रथम महाविहारमे गिनल जाहै । पालवंशके शासनकालमे ई महाविहार अपन यशके शिखर पर हलै । 
सोमपुर महाविहार (पहाड़पुर बौद्धबिहार)
सोमपुर महाविहार (पहाड़पुर बौद्धबिहार) 
विक्रमशिलाके ध्वंसावशेष
विक्रमशिलाके ध्वंसावशेष 
पालवंशके सिक्का
पालवंशके सिक्का 

इहो देखी

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सन्दर्भ

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  1. Sengupta 2011, पृ॰प॰ 39–49.
  2. Schwartzberg, Joseph E. (1978). A Historical atlas of South Asia. Chicago: University of Chicago Press. प॰ 146, map XIV.2 (g). आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 0226742210.
  3. Daniélou, Alain (11 February 2003). A Brief History of India. Simon and Schuster. प॰ 144. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-59477-794-3. Dharmapala's empire, which stretched from the Gulf of Bengal to Delhi and from Jalandhara to the Vindhya Mountains.
  4. Michael C. Howard (2012). Transnationalism in Ancient and Medieval Societies: The Role of Cross-Border Trade and Travel. McFarland. प॰ 72. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-0-7864-9033-2.
  5. Huntington 1984, पृ॰ 56.
  6. Sengupta 2011, पृ॰ 102:Sanskrit continued to be the language under Sasanka, the Pala dynasty and the Sen dynasty.
  7. Bajpai, Lopamudra Maitra (2020). India, Sri Lanka and the SAARC Region: History, Popular Culture and Heritage. Abingdon: Taylor & Francis. प॰ 141. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-00-020581-7.
  8. Sen, Sailendra Nath (1999). Ancient Indian History and Civilization. New Age International. प॰ 285. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-81-224-1198-0.
  9. Flåten, Lars Tore (4 October 2016). Hindu Nationalism, History and Identity in India: Narrating a Hindu past under the BJP. Routledge. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-317-20871-6.
  10. Alexis Sanderson (2009). "The Śaiva Age: The Rise and Dominance of Śaivism during the Early Medieval Period". प्रकाशित Shingo Einoo (सम्पा॰). Genesis and Development of Tantrism. Institute of Oriental Culture, University of Tokyo. पप॰ 108–115. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 9784903235080.
  11. Susan L. Huntington (1984). The "Påala-Sena" Schools of Sculpture. Brill Archive. pp. 32–39. ISBN 90-04-06856-2