Wp/mag/पाल साम्राज्य
पाल साम्राज्य | |||||
साम्राज्य | |||||
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राजधानी | सूची
विक्रमपुर
पाटलिपुत्र गौड़[4] Monghyr (Devapala) Somapura (Dharampala) Mahipal in present-day Murshidabad district (Mahipala I)[5] Ramavati in Varendra (Ramapala and successors) | ||||
भाषा | संस्कृत,[6] Proto-Bengali[7] | ||||
धार्मिक समूह | तान्त्रिक बौद्धधर्म, महायान,[8] Hinduism,[9] Shaivism[10] | ||||
शासन | राजतन्त्र | ||||
सम्राट | |||||
- | ल. 750 | गोपाल (प्रथम राजा) | |||
- | style="padding-left:0;text-align:left;"|1139–1161 | गोविन्दपाल (अन्तिम राजा) | |||
ऐतिहासिक युग | पूर्व-मध्यकालीन | ||||
- | स्थापित | 750 ई० | |||
- | अन्त | 1161 ई०[1] | |||
आज ईसभ देशके भाग हे: | |||||
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पाषाण युग (७०००–३००० ई.पू.)
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कांस्ययुग (३०००–१३०० ई.पू.)
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लौहयुग (१२००–२६ ई.पू.)
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मध्य साम्राज्य (२३० ई.पू.–१२०६ ईसवी)
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उत्तर मध्ययुगीन युग (१२०६–१५९६ ईसवी)
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प्रारम्भिक आधुनिक काल (१५२६–१८५८ ईसवी)
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औपनिवेशिक काल (१५०५–१९६१ ईसवी)
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श्रीलङ्का राज्य
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राष्ट्र इतिहास |
क्षेत्रीय इतिहास |
पाल साम्राज्य मध्यकालीन उत्तरभारतके सबसे शक्तिशाली आउ महत्वपूर्ण साम्राज्य मानल जाहै, जे कि 750-1174 इसवी तक चलल। ई पूर्व-मध्यकालीन राजवंश हलै। ई वंश के शासक भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनेलकै। जब हर्षवर्धन काल के बाद समस्त उत्तरी भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक गहरा संकट उत्पनन्न हो गेलै, तखनी बिहार, बंगाल आउ उड़ीसा के सम्पूर्ण क्षेत्र में पूरा तरह अराजकत फैलली हल। पाल साम्राज्य के नींव 750 ई. में राजा गोपाल पाल डालके। बतावल जा है कि उ क्षेत्र में फैलल अशान्ति के दबावेला कुछ प्रमुख लोग ओकरा राजा के रूप में चुनकै। इ प्रकार राजा के निर्वाचन एगो अभूतपूर्व घटना हलै। एकर अर्थ शायद इ है कि गोपाल उ क्षेत्र के सब महत्त्वपूर्ण लोग का समर्थन प्राप्त करे में सफल हो सकले आउ एकरा से ओकरा अपन स्थिति मजबूत करे में काफी सहायता मिलले।
ई राज्यमे वास्तु कलाके बड़ी बढ़ावा मिललै । पाल राजाके कालमे बौद्धधर्मके बड़ी बढ़ावा मिललै । पाल राजा हिन्दु हलथिन परन्तु ऊ बौद्धधर्मोके मानेवाला हलथिन । पाल राजाके समयमे बौद्धधर्मके बड़ी संरक्षण मिललै । पाल राजा बौद्धधर्मके उत्थानला बड़ीमनी कार्य कैलन जे कि इतिहास मे अङ्कित है । पाल राजा हिन्दुधर्मके आगे बढ़ावेला शिव मंदिरके निर्माण करौलन आउ शिक्षाला विश्वविद्यालयके निर्माण करौलन ।
पालवंशके शासक
[edit | edit source]विभिन्न पुरालेख आउ अभिलेख के व्याख्या से इतिहासकार पाल राजाके कालक्रमके ई तरह से अन्दाज कैलन हे:[11]
नाम | आवधि |
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गोपाल (पाल) | 750-770 |
धर्मपाल | 770-810 |
देवपाल | 810-850 |
शूर पाल महेन्द्रपाल | 850-854 |
विग्रह पाल | 854-855 |
नारायण पाल | 855-908 |
राज्यो पाल | 908-940 |
गोपाल 2 | 940-960 |
विग्रह पाल 2 | 960-988 |
महिपाल | 988-1038 |
नय पाल | 1038-1055 |
विग्रह पाल 3 | 1055-1070 |
महिपाल 2 | 1070-1075 |
शूर पाल 2 | 1075-1077 |
रामपाल | 1077-1130 |
कुमारपाल | 1130-1140 |
गोपाल 3 | 1140-1144 |
मदनपाल | 1144-1162 |
गोविन्द पाल | 1162-1174 |
पाल राजवंश के पश्चात सेन राजवंश बंगाल पर १६० वर्ष राज कैलक।
धर्मपाल
[edit | edit source]गोपाल के बाद ओकर पुत्र धर्मपाल ७७० ई. में सिंहासन पर बैठकै। धर्मपाल ४० वर्ष तक शासन कैलकै। धर्मपाल कन्नौज ला त्रिदलीय संघर्ष में उलझल रहलै। उ कन्नौज के गद्दी से इन्द्रायुध के हराके चक्रायुध के आसीन केलकै। चक्रायुध के गद्दी पर बैठावे के बाद उ एक भव्य दरबार के आयोजन केलकै तथा उत्तरापथ स्वामिन के उपाधि धारण केलकै। धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी हलै। उ काफी मठ आउ बौद्ध विहार बनवौलकै। धर्मपाल एक उत्साही बौद्ध समर्थक हलै। ओकर लेख में ओकरा परम सौगात कहल गेलै हे। उ विक्रमशिला आउ सोमपुरी प्रसिद्ध बिहार के स्थापना केलकै। उ भागलपुर जिला में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय के निर्माण करवौलकै हल। ओकर देखभाल ला सौ गाँव दान में देलकै हल। उल्लेखनीय है कि प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एवं राष्ट्रकूट राजा ध्रुव धर्मपाल के पराजित केलकै हल।
देवपाल
[edit | edit source]धर्मपालके बाद ओकर पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठकै । एकर अपन पिताके अनुसार विस्तारवादी नीतिके अनुसरण केलकै । एकरे शासनकालमे अरब यात्री सुलेमान ऐलै हल । ऊ मुङ्गेरके अपन राजधानी बनौलकै । ऊ पूर्वोत्तरमे प्राज्योतिषपुर, उत्तरमे नेपाल, पूर्वीतटे उड़ीसा तक विस्तार केलकै। कन्नौजके सङ्घर्षमे देवपाल भाग लेलकै हल । ओकर शासनकालमे दक्षिणपूर्व एसियाके साथो मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहलै । ऊ जावाके शासक शैलेंद्र के आग्रह पर नालन्दामे एक विहारके देखरेखला ५ गाँव अनुदानमे देलकै ।
देवपाल ८५० ई तक शासन केलकै हल। देवपाल के बाद पाल वंश के अवनति प्रारम्भ हो गेलै । मिहिरभोज आउ महेन्द्रपाल के शासनकाल में प्रतिहारों पूर्वी उत्तर प्रदेश आउ बिहार के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लेलकै ।
महीपाल
[edit | edit source]- ११वा सदीमे महीपाल प्रथम ९८८ ई-१०३८ ई तक शासन केलकै । महीपालके पाल वंशके द्वितीय संस्थापक कहल जाहै । ऊ समस्त बङ्गाल आउ मगध पर शासन केलकै ।
- महीपालके बाद पाल वंशीय शासक निर्बल हलै जेकरासे आन्तरिक द्वेष आउ सामन्त विद्रोह उत्पन्न कर देलकै हल। बंङ्गालमे केवर्त, उत्तरी बिहार मॆम सेन आदि शक्तिशाली हो गेलै हल ।
- सेन शसक वल्लासेन आउ विजयसेनो अपन सत्ता के विस्तार केलकै ।
- ई अराजकताके परिवेशमे तुर्कके आक्रमण प्रारम्भ हो गेलै ।
चित्रावली
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इहो देखी
[edit | edit source]सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ Sengupta 2011, पृ॰प॰ 39–49.
- ↑ Schwartzberg, Joseph E. (1978). A Historical atlas of South Asia. Chicago: University of Chicago Press. प॰ 146, map XIV.2 (g). आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 0226742210.
- ↑ Daniélou, Alain (11 February 2003). A Brief History of India. Simon and Schuster. प॰ 144. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-59477-794-3.
Dharmapala's empire, which stretched from the Gulf of Bengal to Delhi and from Jalandhara to the Vindhya Mountains.
- ↑ Michael C. Howard (2012). Transnationalism in Ancient and Medieval Societies: The Role of Cross-Border Trade and Travel. McFarland. प॰ 72. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-0-7864-9033-2.
- ↑ Huntington 1984, पृ॰ 56.
- ↑ Sengupta 2011, पृ॰ 102:Sanskrit continued to be the language under Sasanka, the Pala dynasty and the Sen dynasty.
- ↑ Bajpai, Lopamudra Maitra (2020). India, Sri Lanka and the SAARC Region: History, Popular Culture and Heritage. Abingdon: Taylor & Francis. प॰ 141. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-00-020581-7.
- ↑ Sen, Sailendra Nath (1999). Ancient Indian History and Civilization. New Age International. प॰ 285. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-81-224-1198-0.
- ↑ Flåten, Lars Tore (4 October 2016). Hindu Nationalism, History and Identity in India: Narrating a Hindu past under the BJP. Routledge. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-317-20871-6.
- ↑ Alexis Sanderson (2009). "The Śaiva Age: The Rise and Dominance of Śaivism during the Early Medieval Period". प्रकाशित Shingo Einoo (सम्पा॰). Genesis and Development of Tantrism. Institute of Oriental Culture, University of Tokyo. पप॰ 108–115. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 9784903235080.
- ↑ Susan L. Huntington (1984). The "Påala-Sena" Schools of Sculpture. Brill Archive. pp. 32–39. ISBN 90-04-06856-2