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बौद्धधम्म

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गन्धारसे पहिला सदी ईस्वी मे बनल महात्मा बुद्धके मूर्ति

महायान वर्तमान कालमे बौद्धधर्मके दु प्रमुख शाखामे से एक है । दोसर शाखाके नाम थेरवाद है । महायान बुद्धधर्म भारतसे आरम्भ होके उत्तर दने बड़ी मनी अन्य एसियाई देशमे फैल गेलै, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मङ्गोलिया आउ सिङ्गापुर । महायान सम्प्रदायके आगे आउ उपशाखा है, जैसे जेन/चान, पवित्र भूमि, तियानताई, निचिरेन, शिन्गोन, तेन्दाई आउ तिब्बती बौद्धधर्म[1]

अवलोकितेश्वर (चीन)

थेरवाद आउ महायानमे अन्तर

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'थेरवाद' शब्दके अर्थ है 'बड़-बुजुर्ग सबके कहलाम' । बौद्धधर्मके ई शाखामे पालिभाषामे लिखल प्राचीन त्रिपिटक धार्मिक ग्रन्थके पालन करे पर बल देल जा है । थेरवाद अनुयायीके कहलाम है कि एकरासे ऊ बौद्धधर्म के ओकर मूलरूप मे मानऽ हथिन । इनका ला गौतम बुद्ध एक गुरु आउ महापुरुष अवश्य हथिन लेकिन कौनो अवतार या ईश्वर न । ऊ उनका पूजऽ न हथिन आउ न त उनकर धार्मिक समारोह मे बुद्ध-पूजा होवऽ है । जने महायान बौद्ध परम्परा मे देवी-देवता नियन बड़ीमनी दिव्य जीव के मानल जा है ओहैं थेरवाद बौद्ध परम्परा मे ऐसन कौनो हस्ती के पूजल न जाइ । थेरवादी के मानना है कि हर मनुष्य के स्वयमे निर्वाण केममार्ग खोजेला होवऽ है । ई सब समुदाय मे युवक के भिक्षुक बने के बड़ी शुभ मानल जा है आउ एहाँ ई रिवायतो है कि युवक कुछ दिन ला भिक्षु बनके फिर गृहस्थ मे लौट जा है ।[2] पहिले जमानामे 'थेरवाद' के 'हीनयान शाखा' कहल जा हलो, लेकिन अब बड़ी विद्वान कहऽ हथिन कि ई दुनो अलग है‌ ।

महायान बौद्धधर्मके अनुयायी कहऽ हथिन कि अधिकतर मनुष्य ला निर्वाण-मार्ग अकेले खोजल मुश्किल या असम्भव है आउ उनका ई कार्य मे सहायता भेटे के चाही । ऊ समझऽ हथिन कि ब्रह्माण्ड के सब प्राणी एक-दोसरा से जुड़ल है आउ सबसे प्रेम करे ला आउ सब के निर्वाण ला प्रयत्न करे ला जरूरी है । कौनो प्राणी ला दुष्भावना न रखे के चाही काहेकि सब जन्म-मृत्युके जञ्जालमे फँसल है । एक हत्यारा या एक तुच्छ जीव अपनहीँ कोई फिर से जन्मल पूर्वजो हो सकऽ है एही से उनको सहायता करे के चाही । प्रेरणा आउ सहायता ला बोधिसत्व के मानल जा है जे ऊ प्राणी हथिन जे निर्वाण पा चुकलथिन हे । महायान शाखा मे ऐसन हजारों बोधिसत्त्व के पूजल जा है आउ उनकर ई सम्प्रदाय मे देवता नियन दर्जा है । ई सब बोधिसत्त्व मे कुछ बड़ी प्रसिद्ध हथिन, उदाहरण ला अवलोकितेश्वर (अर्थ: 'दृष्टि नीचे जगत पर डालने वाला प्रभु'), अमिताभ (अर्थ: 'अनन्त प्रकाश', 'अमित आभा'), मैत्रेय, मञ्जुश्री आउ क्षितिगर्भ ।[2]

महायान बौद्धधर्मके अनुयायी

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चीन (78%) जापान (95%) वियतनाम (80%) दक्षिण कोरिया (50%) उत्तर कोरिया (70%) सिङ्गापुर (30%)


बाहरी कड़ी

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सन्दर्भ

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  1. Establishing a pure land on earth: the Foguang Buddhist perspective on modernization and globalization, Stuart Chandler, University of Hawaii Press, 2004, ISBN 978-0-8248-2746-5, ... The Hinayana school is identified with the Theravada tradition, which is practiced in Thailand, Sti Lanka, Myanmar, etc. The Mahayana school, by contrast, is seen as having taken root in China, Japan, Korea, and Tibet ...
  2. 2.0 2.1 Inside Buddhism (eBook)
    Archived 2014-01-03 at the वेबैक मशीन, Kathy Zaun, Lorenz Educational Press, ISBN 978-0-7877-8193-4, Pages 26-27