Wp/mag/कैथीलिपि
ब्राह्मी |
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ब्राह्मी आउ ओकरासे व्युत्पन्न लिपि |
उत्तरब्राह्मी
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कैथी Kayathi, Kayasthi | |
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प्रकार | |
भाषासभ | अंगिका, अवधि, भोजपुरी, मगही, मैथिली, हिन्दुस्तानी, सिल्हेटी |
समयकाल |
c. १६हम–मध्य बीसम शताब्दी |
Parent systems |
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Sister systems |
देवनागरी, नन्दीनागरी |
दिशा | Template:Wp/mag/ISO 15924 direction |
आइएसओ १५९२४ |
Template:ISO 15924 code, Template:ISO 15924 number |
युनिकोड वर्ण |
Template:Wp/mag/ISO 15924 alias |
युनिकोड भाग |
U+11080–U+110CF |
कैथी (𑂍𑂶𑂟𑂲) एगो ऐतिहासिक लिपि हे जे प्राचीनसे मध्यकालीन भारतमे प्रमुखरूपसे उत्तर-पूर्ब आउ उत्तरभारतमे बड्डी बृहतरूपसे प्रयोग करल जाहल । बिशेषकर योनिमे आजके उत्तरप्रदेस आउ बिहारके क्षेत्रमे ई लिपिमे बैधानिक आउ प्रशासनिक काज कैल जायोके प्रमाण पाएल जाहे ।[1] एकरा "कयथी" वा "कायस्थी", के नामोसे जानल जाहे । एकर प्रयोग बिषेषकर न्यायिक, प्रशासनिक आउ निजी आँकड़ाके सङ्ग्रहणमे करल जाहल ।
उत्पत्ति
[edit | edit source]कैथीके उत्पत्ति 'कायस्थ' शब्दसे होएल है जे कि उत्तर भारतके एक सामाजिक समूह (हिन्दु जाति) है । इनके द्वारा मुख्य रूपसे व्यापार सम्बन्धी ब्यौरा सुरक्षित रखे लागि सबसे पहिले इ लिपीके प्रयोग कैल गेलै हल । कायस्थ समुदायके पुरान रजवाड़ा एवं ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकसे काफी नजदीकके रिश्ता रहलै हे । ई उनकर हिँया बिभिन्न प्रकारके आँकड़ाके प्रबन्धन एवं भण्डारण करेलागि नियुक्त कैल जा हलै । कायस्थ द्वारा प्रयुक्त इ लिपिके बादमे कैथीके नामसे जानल जाए लगलै ।
इतिहास
[edit | edit source]कैथी एक पुराना लिपि है जेकर प्रयोग कमसे कम 16वा सदीमे धड़ल्लासे होव हलै । मुगल सल्तनतके दौरान एकर प्रयोग बड़ी व्यापक हलै । 1880 के दशकमे ब्रिटिश राजके दौरान एकरा प्राचीन बिहारके न्यायालयमे आधिकारिक भाषाके दर्जा देल गेलै हल । एकरा खगड़िया जिलाके न्यायालयमे बैधानिक लिपिके दर्जा देल गेलै हल ।
सम्बन्धित लेख
[edit | edit source]सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ अंशुमान पाण्डे. 2006. Proposal to Encode the Kaithi Script in Plane 1 of ISO/IEC 10646[मृत कड़ी]