Wp/mag/देवनागरी
Appearance
देवनागरी देवनागरी | |
---|---|
देवनागरी लिपि (शीर्षमे स्वरवर्ण, व्यञ्जनवर्ण निचामे) | |
प्रकार | |
भाषासभ | विविध भारतक भाषासभ आ नेपाल, समाविष्ट, हिन्दी, मराठी, नेपाली, पालि, कोंकनी, बोडो, मैथिली, सिन्धी आ संस्कृत । पहिने पञ्जाबी आ गुजरातीमे प्रयोग होएत छल । |
समयकाल |
प्रारम्भिक सङ्केत: पहिल शताब्दी, आधुनिक रुप: दशम शताब्दी[1][2] |
Parent systems |
|
Child systems |
गुजराती मोदी |
Sister systems |
गुरुमुखी, नन्दीनागरी |
दिशा | Template:Wp/mag/ISO 15924 direction |
आइएसओ १५९२४ |
Template:ISO 15924 code, Template:ISO 15924 number |
युनिकोड वर्ण |
Template:Wp/mag/ISO 15924 alias |
युनिकोड भाग |
U+0900–U+097F देवनागरी, U+A8E0–U+A8FF वृहत देवनागरी, U+1CD0–U+1CFF वेदिक एक्सटेन्सन |
देवनागरी भारतीय उपमहाद्वीपमे प्रयुक्त प्राचीन ब्राह्मीलिपि पर आधारित बामासे दहिना आबूगीदा हे । ई प्राचीनभारतमे पहिलासे चौथा शताब्दी ईस्वी तक बिकसित होएल हल आउ ७मा शताब्दी ईस्वी तक नियमित उपयोगमे हल । देवनागरीलिपि, जेकरामे १४ स्वर आउ ३३ व्यञ्जन सहित ४७ प्राथमिक वर्ण हथ, बिश्वमे चौथा सबसे व्यापकरूपसे अपनावल जायेवाला लेखनप्रणाली हे, जेकर उपयोग १२० से अधिक भाषाला कैल जाइत हे ।
ब्राह्मी |
---|
ब्राह्मी आउ ओकरासे व्युत्पन्न लिपि |
उत्तरब्राह्मी
|
सम्बन्धित लेख
[edit | edit source]सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ Isaac Taylor (1883), History of the Alphabet: Aryan Alphabets, Part 2, Kegan Paul, Trench & Co, प॰ 333, आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-0-7661-5847-4,
... In the Kutila this develops into a short horizontal bar, which, in the Devanagari, becomes a continuous horizontal line ... three cardinal inscriptions of this epoch, namely, the Kutila or Bareli inscription of 992, the Chalukya or Kistna inscription of 945, and a Kawi inscription of 919 ... the Kutila inscription is of great importance in Indian epigraphy, not only from its precise date, but from its offering a definite early form of the standard Indian alphabet, the Devanagari ...
- ↑ Salomon, Richard (1998). Indian epigraphy: a guide to the study of inscriptions in Sanskrit, Prakrit, and the other Indo-Aryan languages. South Asia research. Oxford: Oxford University Press. पप॰ 39–41. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-0-19-509984-3.