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बेद (संस्कृत: वेद) भारतीयदर्शनके जनक, प्रेरक आउ मानक भूमिकामे केन्द्रीय स्थान प्राप्त शब्दप्रमाण हे । वेद प्राचीनभारत वर्षके पवित्र साहित्य हे जे धरतीके प्राचीनतम सनातन बैदिकधरम आधारभूत धर्मग्रन्थो हे । बेद बिश्वके सबसे प्राचीन साहित्यो हे । भारतीय संस्कृतिमे बेद सनातन आउ बर्णाश्रम धरमके मूल आउ सबसे प्राचीनग्रन्थ हे ।

'वेद' शब्द संस्कृत भाषाके विद् धातु से बनल हे, जेकर अर्थ होवहे जानना, अतः बेदके शाब्दिक अर्थ हे 'ज्ञान' । एही धातुसे 'विदित' (जानल), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) नियन शब्द आएल हे । एकरा देववाणीके रूपमे मानल गेलहे । एहीसे ई ' श्रुति' कहलाहे । बेदके परमसत्य मानल गेलहे । ओकरोमे लौकिक अलौकिक सभ बिषयके ज्ञान भरल पड़ल हे । प्रत्येक बेदके चार अङ्ग हे । ऊ हे वेदसंहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक तथा उपनिषद् ।

आज 'चतुर्वेद' के रूपमे ज्ञात ईसभ ग्रन्थके बिवरण ई प्रकार हे -

  • ऋग्वेद - सबसे प्राचीन तथा प्रथम बेद जेकरामे मन्त्रके सङ्ख्या १०५८०, मण्डलके सङ्ख्या १० तथा सूक्तके सङ्ख्या १०२८ हे । ऐसनो मानल जाहे कि ई बेदमे सभ मन्त्रके अच्छरके कुल सङ्ख्या ४३२००० हे । एकर मूल बिषय ज्ञान हे । बिभिन्न देवताके बर्णन हे तथा ईश्वरके स्तुति आदि ।
  • यजुर्वेद - एकरामे कार्ज (क्रिया) आउ यज्ञ (समर्पण) के प्रक्रियाला १९७५ गद्यात्मक मन्त्र हे ।
  • सामवेद - ई बेदके प्रमुख बिषय उपासना हे । सङ्गीतमे लगल सुरके गानाला १८७५ सङ्गीतमय मन्त्र ।
  • अथर्ववेद - एकरामे गुण, धर्म, आरोग्य एवं यज्ञला ५९७७ कवितामयी मन्त्र हे ।

एकरो देखी

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सन्दर्भ

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