Jump to content

Wp/mag/वेद

From Wikimedia Incubator
< Wp | mag
Wp > mag > वेद
Wp/mag/वेद

ऋग्वेद के एक प्राचीन हस्तलिखित प्रति
जानकारी
धर्म हिन्दुधर्म
लेखक -
भाषा संस्कृत

बेद (संस्कृत: वेद) भारतीयदर्शनके जनक, प्रेरक आउ मानक भूमिकामे केन्द्रीय स्थान प्राप्त शब्दप्रमाण हे । वेद प्राचीनभारत वर्षके पवित्र साहित्य हे जे धरतीके प्राचीनतम सनातन बैदिकधरम आधारभूत धर्मग्रन्थो हे । बेद बिश्वके सबसे प्राचीन साहित्यो हे । भारतीय संस्कृतिमे बेद सनातन आउ बर्णाश्रम धरमके मूल आउ सबसे प्राचीनग्रन्थ हे ।

'वेद' शब्द संस्कृत भाषाके विद् धातु से बनल हे, जेकर अर्थ होवहे जानना, अतः बेदके शाब्दिक अर्थ हे 'ज्ञान' । एही धातुसे 'विदित' (जानल), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) नियन शब्द आएल हे । एकरा देववाणीके रूपमे मानल गेलहे । एहीसे ई ' श्रुति' कहलाहे । बेदके परमसत्य मानल गेलहे । ओकरोमे लौकिक अलौकिक सभ बिषयके ज्ञान भरल पड़ल हे । प्रत्येक बेदके चार अङ्ग हे । ऊ हे वेदसंहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक तथा उपनिषद् ।

आज 'चतुर्वेद' के रूपमे ज्ञात ईसभ ग्रन्थके बिवरण ई प्रकार हे -

  • ऋग्वेद - सबसे प्राचीन तथा प्रथम बेद जेकरामे मन्त्रके सङ्ख्या १०५८०, मण्डलके सङ्ख्या १० तथा सूक्तके सङ्ख्या १०२८ हे । ऐसनो मानल जाहे कि ई बेदमे सभ मन्त्रके अच्छरके कुल सङ्ख्या ४३२००० हे । एकर मूल बिषय ज्ञान हे । बिभिन्न देवताके बर्णन हे तथा ईश्वरके स्तुति आदि ।
  • यजुर्वेद - एकरामे कार्ज (क्रिया) आउ यज्ञ (समर्पण) के प्रक्रियाला १९७५ गद्यात्मक मन्त्र हे ।
  • सामवेद - ई बेदके प्रमुख बिषय उपासना हे । सङ्गीतमे लगल सुरके गानाला १८७५ सङ्गीतमय मन्त्र ।
  • अथर्ववेद - एकरामे गुण, धर्म, आरोग्य एवं यज्ञला ५९७७ कवितामयी मन्त्र हे ।

चारो वेद के सम्बन्ध यज्ञ से है । यज्ञ करे मे चार प्रकार के ऋत्विज के आवश्यकता होवऽ है, यथा- • होता • उद्गाता •अध्वर्यु • ब्रह्मा के अपौरुषेय (जेकरा कौनो पुरुष के द्वारा न कैल जा सक हो, (अर्थात् ईश्वर कृत) मानल जा है । ई ज्ञान विराटपुरुष से वा कारणब्रह्म से श्रुति परम्परा के माध्यम से सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी प्राप्त कैल मानल जा है । एहु मान्यता है कि परमात्मा सबसे पहिले चार महर्षि जिनकर अग्नि, वायु, आदित्य आउ अंगिरा नाम हलै; के आत्मा मे क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद आउ अथर्ववेद के ज्ञान देलन, ऊ सब महर्षि फिर ई ज्ञान ब्रह्मा के देलन । इकरा श्रुति भी कहल जा है जेकर अर्थ है 'सुनल ज्ञान' । काहेकि एकरा सुनके लिखल गेलै हल । अन्य आर्य ग्रन्थ के स्मृति कहल जा है, अर्थात् वेदज्ञ मनुष्य के वेदानुगत बुद्धि या स्मृति पर आधारित ग्रन्थ । वेद मन्त्र के व्याख्या करे ला अनेक ग्रन्थ जैसे ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक आउ उपनिषद् के रचना कैल गेलै । एकरा मे प्रयुक्त भाषा वैदिक संस्कृत कहला है जे लौकिक संस्कृत से कुछ अलग है । ऐतिहासिक रूप से प्राचीन भारत आउ हिन्द-आर्य जाति के बारे मे वेद के एक बेस सन्दर्भ स्रोत मानल जा है । संस्कृत भाषा के प्राचीन रूपो के लेके इनकर साहित्यिक महत्त्व बनल है ।

वेद के समझना प्राचीने काल से पहिले भारतीय आउ बाद मे सम्पूर्ण विश्वभर मे एक वार्ता के विषय रहलै हे । एकरा पढ़े ला छौ अंग - शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, छन्द आउ ज्योतिष के अध्ययन आउ उपांग जेकरा मे छौ शास्त्र - पूर्वमीमांसा, वैशेषिक, न्याय, योग, सांख्य आउ वेदान्त एवं दस उपनिषद् - इशावास्य, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डुक्य, ऐतरेय, तैतिरेय, छान्दोग्य आउ बृहदारण्यक आवऽ है । प्राचीन समय में इनको पढ़ने के बाद वेदों को पढ़ा जाता था। प्राचीनकाल के वशिष्ठ, शक्ति, पराशर, वेदव्यास, जैमिनि, याज्ञवल्क्य, कात्यायन इत्यादि ऋषि के वेद के बेस ज्ञाता मानल जा है । मध्यकाल मे रचित व्याख्या मे सायण के रचल चतुर्वेदभाष्य माधवीय वेदार्थदीपिका बड़ी मान्य है । यूरोप के विद्वान के वेद के बारे मे मत हिन्द-आर्य जाति के इतिहास के जिज्ञासा से प्रेरित रहलै हे । अतः ऊ एकरा मे लोग, जगह, पहाड़, नदी के नाम खोजित रहऽ हथिन - किन्तु ई भारतीय परम्परा आउ गुरु के शिक्षा से मेल न खाई । अठारहमा शताब्दी उपरान्त यूरोपीय के वेद आउ उपनिषद् मे रूचि आवे के बादो इनकर अर्थ पर ढेर विद्वान मे असहमति बनल रहलै हे । वेद मे अनेक वैज्ञानिक विश्लेषण प्राप्त होवऽ है ।

कालक्रम

[edit | edit source]

वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रन्थ मे से है । संहिता के तिथि लगभग १७००-११०० ईसा पूर्व आउ "वेदांग" ग्रन्थ के साथे-साथे संहिता के प्रतिदेयता कुछ विद्वान वैदिक काल के अवधि १५००-६०० ईसा पूर्व मानऽ हथिन तु कुछ एकरो से अधिक प्राचीन मानऽ हथिन । जेकर परिणामस्वरूप एक वैदिक अवधि होवऽ है, जे १०० ईसा पूर्व से लेके २०० ई॰पूर्व तक है । कुछ विद्वान एकरा ताम्र पाषाण काल (४००० ईसा पूर्व) के मानऽ है । किन्तु पुरातत्व प्रमाण उपलब्ध न है । वद के बारे मे ई मान्यतो प्रचलित है कि वेद सृष्टि के आरम्भ से है आउ परमात्मा द्वारा मानव मात्र के कल्याण ला देल गेलै हे । वेद मे कौनो मत, पन्थ या सम्प्रदाय के उल्लेख न होल ई दर्शावऽ है कि वेद विश्व मे सर्वाधिक प्राचीनतम साहित्य है । वेद के प्रकृति विज्ञानवादी होवे के कारण पश्चिमी जगत मे एकर डंका बजैत है । वैदिक काल वेद ग्रन्थ के रचना के बादे अपन चरम पर पहुँचऽ है, सम्पूर्ण उत्तर भारत मे विभिन्न शाखा के स्थापना के साथे, जे कि ब्राह्मण ग्रन्थ के अर्थ के साथे मन्त्र संहिता के उनकर अर्थ के चर्चा करऽ है, बुद्ध आअ पाणिनियो के काल मे वेद के बड़ी अध्ययन-अध्यापन के प्रचार हलै, एहु प्रमाणित है । माइकल विटजेलो एक समय अवधि दे हथिन, १६०० से ५००-४०० ईसा पूर्व, माइकल विटजेल १४०० ईसा पूर्व मानलथिन हे, ऊ विशेष सन्दर्भ मे ऋग्वेद के अवधि ला हिन्द-आर्य समकालीन के एकमात्र शिलालेख देलन हल । ऊ १५० ईसा पूर्व (पतंजलि) के सब वैदिक संस्कृत साहित्य ला एक टर्मिनस एण्टी क्वीन के रूप मे, आउ १२०० ईसा पूर्व (प्रारम्भिक लौहयुग) अथर्ववेद ला टर्मिनस पोस्ट क्वीन के रूप मे देसन । मैक्समूलर ऋग्वेद के रचनाकाल १२०० ईसा पूर्व से २०० ईसा पूर्व के काल के मध्य मानऽ हथिन । दयानन्द सरस्वती चारो वेद के काल १९६०८५२९७६ वर्ष हो चुकल हे ई (१८७६ ईसवी मे) मानऽ हथिन ।

वैदिक काल मे ग्रन्थ के संचरण मौखिक परम्परा द्वारा कैल गेलै हल, विस्तृत नैमनिक तकनीक के सहायता से परिशुद्धता से संरक्षित कैल गेलै हल । मौर्य काल (३२२-१८५ ई० पू०) मे बौद्धधर्म (६०० ई० पू०) के उदय के बाद वैदिक समय के बाद साहित्यिक परम्परा के पता लगावल जा सकऽ है । एही काल मे गृहसूत्र, धर्मसूत्र आउ वेदांग के रचना होलै, ऐसन विद्वान के मत है । एही काल मे संस्कृत व्याकरण पर पाणिनि अष्टाध्यायी नामक ग्रन्थ लिखलन । अन्य दु व्याकरणाचार्य कात्यायन आउ पतञ्जलि उत्तर मौर्यकाल मे होलन । चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री चाणक्य अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ लिखलन । शायद १ शताब्दी ईसा पूर्व के यजुर्वेद के कन्वा पाठ मे सबसे पहिले; हालाँकि संचरण के मौखिक परम्परा सक्रिय रहलै । माइकल विटजेल १ सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व मे लिखित वैदिक ग्रन्थ के सम्भावना के सुझाव देलन । कुछ विद्वान जैसे जैक गूडी कह हथिन कि "वेद एक मौखिक समाज के उत्पाद न है", ई दृष्टिकोण के यूनान, सर्बिया आउ अन्य संस्कृति नियन विभिन्न मौखिक समाज से साहित्य के संचरित संस्करण मे विसंगति के तुलना करके ई दृष्टिकोण के आधार रखैत, ओकरा पर ध्यान देइत वैदिक साहित्य बड़ी सुसंगत आउ विशाल है जेकरा लिखला बिना, पीढ़ि मे मौखिक रूप से बना देल गेलै हल । हालाँकि जैक गूडी कह हथिन, वैदिक ग्रन्थ एक लिखित आउ मौखिक परम्परा दुनो मे शामिल होवे के सम्भावना है, एकरा "साक्षरता समाज के समानान्तर उत्पाद" कह हथिन ।

वैदिक काल मे पुस्तक के ताड़ के पेड़ के पत्ता पर लिखल जा हलै । पाण्डुलिपि सामग्री (बर्च के छाल या ताड़ के पत्ता) के तात्कालिक प्रकृति के कारण, जीवित पाण्डुलिपि शायदे कुछ सौ वर्ष के उम्र के पार करऽ है । सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के १४मा शताब्दी से ऋग्वेद पाण्डुलिपि है; हालाँकि, नेपाल मे ढेर पुरान वेद पाण्डुलिपि है जे ११मा शताब्दी के बाद से है ।

प्राचीन विश्वविद्यालय

[edit | edit source]

वेद, वैदिक अनुष्ठान आउ ओकर सहायक विज्ञान वेदांग कहला हलै । ई वेदांग प्राचीन विश्वविद्यालय जैसे तक्षशिला, नालन्दा आउ विक्रमशिला मे पाठ्यक्रम के भाग हलै ।

एकरो देखी

[edit | edit source]

सन्दर्भ

[edit | edit source]