Wp/mag/छठी मैया
षष्ठी, (छठी मैया) | |
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वंश,शक्ति, जीवनकाल, अर्घ्य, खुशी, आनन्द, प्रेम, भक्ति, देवत्व, ईश्वर प्रेम, सौन्दर्य, सद्भाव, आकर्षण, समय, ऋतु, जोड़ा, बियाह, दान, दण्ड, शक्ति, ऊर्जा, वैवाहिक सुख, निर्माण, संरक्षण, विनाश, प्रकृति, भ्रूण, गर्भावस्था, दीर्घायु, संतान, मातृत्व आउ प्रजननके देवी; शिशुके संरक्षिका; महामारि, रोग, दोषके दूर करे वाली देवी; आदिशक्ति,पराशक्ति, जगतमाता | |
श्री श्री १०८ माता षष्ठी | |
अन्यनाम | इन्द्रसूता, षष्टी, पुत्रदायनी, मोक्षदायनी, सुखदायनी, देवसेना, वरदायनी, षष्ठी, बालाधिष्ठात्री, छठी, षष्ठांशरुपाये , रौना माता, मैया आउ देवी |
सम्बन्ध | जगतमाता, जगजननी, पर अम्बा, महामाया, आदिशक्ति, आदि पराशक्ति, देवी, सन्तानदायनी |
निवासस्थान | स्कन्द लोक आउ मणिद्वीप, इन्द्र लोक |
मन्त्र |
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नमः । शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः । सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। शक्ते: षष्ठांशरुपायै सिद्धायै च नमो नमः । मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। पारायै पारदायै च षष्ठी देव्यै नमो नमः । सारायै सारदायै च पारायै सर्व कर्मणाम ।। बालाधिष्ठात्री देव्यै च षष्ठी देव्यै नमो नमः । कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम । प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। पूज्यायै स्कन्दकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु । देवरक्षणकारिण्यै षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। शुद्ध सत्त्व स्वरुपायै वन्दितायै नृणां सदा । हिंसा क्रोध वर्जितायै षष्ठी देव्यै नमो नमः।। धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि। धर्मं देहि यशो देहि षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते । कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नमः ।। जय छठी मैया ॥ जय सूर्य नारायण ॥ ॐ नम शिवाय: ॥ नमः पार्वतीपत्ये हर हर महादेव ॥ |
अस्त्र | कमल, चक्र, गदा, अक्षय पात्र, खड्ग, कृपाण, वर मुद्रा आउ नवजात शिशु (गोदीमे बैठल) |
युद्ध | महाभट्टके वध |
दिवस | रविवार |
वर्ण | लाल, पीयर आउ भगवा |
माता-पिता | |
भाई-बहिन | जयन्त, जयन्ती, ऋषभ , मिधुषा |
सवारी | बिल्लाई |
शास्त्र | देवी भागवत् पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, वेद, सूर्याष्टक, शिव महापुराण, मत्स्य पुराण, वराह पुराण एवं उपनिषद् |
त्यौहार | छठ पूजा |
छठी (षष्ठी) मैया या देवसेना हिन्दुधर्मके एक महादेवी हथिन । इनका भगवतीके श्रेणीमे रखल जा है । लैकनके दाता आउ रक्षकके रूपमे पूजा इनकर कैल जा है । माता षष्ठी वनस्पतियोके देवी हथिन आउ मानल जा है कि प्रजनन आउ बच्चा जन्म देइत खन्नि सहायता करहथिन । माता षष्ठी भगवान् कार्तिकेयके पहिला पत्नी हथिन । माता षष्ठी के दक्षिणभारतके लोग देवी देवसेना कहकेर बोलावहथिन । ई भगवान् कार्तिकेयके प्रथम आउ सर्वाधिकप्रिय पत्नी हथिन । इनकर पूजासे कहियो न समाप्त होवे वाला वंश आउ सुख समृद्धिके प्राप्ति होवहै । शिव परिवारके ज्येष्ठ बहु हथिन एहिये इनकर पूजा शिव परिवारके पूजा अनिवार्य रूपसे होवहे । ई भगवान् शिव आउ माता पार्वतीके बहु हथिन । ई भगवान् गणेश, अशोक सुन्दरी, मनसा देवी, अय्यप्पा आउ देवी ज्योतिके सबसे बड़की भौजी हथिन । इनकर पूजा हरेक शुक्रवारके होवहे । पर मुख्यतः इनकर पूजा छठ पर्वमे कैल जा है । ई पर्व मुख्यताः बिहारके लोग बड़ धूम धामसे मनाव हथिन ।