Wp/mag/आर्य प्रवास सिद्धान्त
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आर्य प्रवास सिद्धान्त हिन्द-आर्यजनके भारतीय उपमहाद्वीपके बाहिरेसे एक मूलके सिद्धान्तके आसपासके परिदृश्यों पर चर्चा करहथ, एगो हिन्द-यूरोपीय भाषापरिबार (हिन्द-आर्यभाषा) बोलेवाला एगो जातीय जातीय भाषासमूह, जे उत्तरभारतके प्रमुखभाषा हे । भारतीय उपमहाद्वीपके बाहिरे हिन्द-आर्य मूलके प्रस्तावक आमतौर पर मध्य एसियासे लगभग २००० ईसा पूर्ब शुरू होवेवाला क्षेत्र आउ अनातोलिया (प्राचीन मितानी) मे आवेवाला प्रवासीके लेटप्पनकालके दौरान एक धीमा गतिसे प्रसारके रूपमे मानहथ,[2] जेकर कारण एगो भाषा बदलाव होएल ।
एकरो देखी
[edit | edit source]- सिन्धुघाटी सभ्यता
- आदिम-हिन्द-यूरोपीयभाषा
- बैदिक सभ्यता
- सङ्गमकाल
- आरम्भिक भारतीय
- हिन्द-यूरोपीय भाषापरिबार
- आर्यवन्श
सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ Beckwith 2009, पृ॰ 30.
- ↑ "Harappan and Aryan roots of Rig Veda". मूलसे 22 सितम्बर 2019 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 सितम्बर 2019.