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राजस्थानी भाषावां में कई बोलियां आवे, ज्यूं कि मारवाड़ी, मेवाड़ी, हड़ोती, ने शेखावाटी। अघिकतर, राजस्थानी भाषावां ने देवनागरी लिपि में लिखे।

राजस्थानी भाषावां एक भाषावां रो झुंड है जिको कि अधिकतर भारत रे राजस्थान राज्य ने उने आक्ति-पाक्ति रा अधिकतर राज्य (हरयाणा, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश) में बोलिजे। पाकिस्तान रा सिंध राज्य ने पंजाब राज्य में भी बोलिजे।[1] राजस्थानी भाषावां हिंदी री भाषावां ऊं अलग है, पण कुछ लोग रे कैयां ऊं उने हाल भी भारत रे में हिंदी री बोलि गिणिजे।

इतिहास[edit | edit source]

राजस्थानी भाषा रो साहित्य रो इतिहास करिबन १५०० बरस लंबो है। भ्रह्मगुप्त, प्राचीन काल रे समय रा प्रसिद्ध खगोलज्ञ ने गणितज्ञ, भीनमाल रा रैवण वाळा हा। ईस्वी सन् ७७९ में उध्योतन सुरी "कुवयलमाला" लिखया हा, कीं हिस्सो प्रक्रित में ने कीं हिस्सो अप्रब्रंष में। मारु-गुर्जर, यानी मारुवानी, यानी गुज्जर भखा (ईस्वी सन् ११००-१५००), जिकि कि आज री राजस्तानी ने गुजराती भाषावां री पूर्वज है, राजस्थान ने गुजरात में गुर्जर लोग काम में लेवता हा।[2].

ईस्वी सन् १३०० तक भाषा निरि बदल्ती गइ, पछे आज जिने पुराणी पश्चिमी राजस्थानी (या पुराणी गुजराती) कैवे बणगी। इण भाषा रे एगदम पैल्ली जिक्की भाषा ही, उनी व्याक्रण एक मान्य जैन साधू, हेमचंद्र सुरि, लिखया हा। पाटण रे चालुक्य वंष रा राणा जयसिं सिद्धराज रे समय में सुरिसा पुराणी पश्चिमी राजस्थानी री व्याक्रण लिखया हा।

वर्गीकरण[edit | edit source]

राजस्थानी भाषावां पश्चिमी भारती-आर्य भाषावां मूं एक है। पण निरि बार उने बिचला भारत रे हिंदी भाषावां रे हाते भेळ देवे, खास कर जणगणना में। राजस्थानी भाषावां रा निरा रूप है।

  • राजस्थानी - करिबन हैंगाणे आ बोलि समझ आ जावेला। १,८०,००,००० लोग राजस्थानी बोले (ईस्वी सन् २००१ रे जणगणना रे हिसाब ऊं)[3]. पण ऐण लोग रे अलावा और बोल्लण वाळा हू सके, पण वैणे हिंदी भाषी गणयोड़ो है जणगणना में।
  • मारवाड़ी: राजस्थानी री इण बोली ने ४.५-५ करोड़ लोग बोलेTemplate:Citation needed। २००१ री जणगणना रे हिसाब ऊं १.५ करोड़ लोग बोले। राजस्थानी नाम री बोली रे ज्यूं मारवाड़ी भाषी ने हिंदी भाषी लिखयाड़ो है जणगणना में।
  • मालवी:१,००,००,००० बोल्लण वाळा
  • दूंधरी: ८०,००,०००
  • हड़ोती: ४०,००,०००
  • मेवाड़ी: ५०,००,०००
  • मेवाती: ३०,००,०००
  • आहिरवाती: ४०,००,०००
  • शेखावटी: ३०,००,०००
  • वाघरी: २२,००,०००
  • बगड़ी: १४,००,०००
  • निमाड़ी: २२,००,०००
  • दूजी भी निरि बोलियां है।

राजस्थानी भाषा रा लेखक ने कवि[edit | edit source]

बाहरी कड़ियाँ[edit | edit source]

संदर्भ[edit | edit source]

  1. भारत जणगणना, २००१. राजस्थान. नवि दिल्ली: सरकारी पत्र सूचना कार्यालय
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