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Wp/raj/हड़बूजी सांखला

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आथूणै राजस्थान रै पांच चावै पीरां में दो अैड़ा, जिणां रौ रिस्तौ बाप-बेटै रो। आपरै पिता मेहा री भांत हड़बू में ई सगला गुण हा, जिणां रै पाण दुनिया में वै अमर जस पायौ। वीरवर हड़बू, हरभू के हरभजण रै नाम सूं ई लोक में जाण्या जावता रैया है। जद जैसलमेर रै राव राणगदेव भाटी सूं जुद् करतां इणां रा पिता मेहाजी वीरगति पाय लीवी, तौ हड़बू भूंडेली गाम छोड'र हरभमजाल गाम में पूग'र आपरौ डेरौ डाल्यौ। औ गाम फलोदी कस्बै रै गाम चाखू सूं पांच कोस दूरी माथै आयोड़ौ हौ। आपरै इण नवै स्थान माथै आयां रेै बाद अेक दिन उणां री भेंट रामदेव तंवर (बाबा रामदेव) सूं हुई। रामदेव तंवर इणां रा मासियता भाई कैया जावता हा। बाबा रामदेव रै मिल्यां हड़बू संसार सूं विरक्त हुय'र संत रौ जीवण बितावण सारू मतौ कर लियौ। वै रामदेवजी रै गुरु बालनाथजी सूं दीक्षा लेय'र उपदेस ग्रहण कर्यौ। हड़बूजी सांखला राव जोधाजी (१४३८-८९ ई. ) रा समकालीन हा। हड़बू आपरै शास्त्रां रौ त्याग कर दियौ अर स्थान बदल'र लोलरै गाम में आय'र साधु रौ जीवण बितावण लाग्या। अठै वै अनाथ-अपाहिजां अर दीन-दुखियां रा सहारा बणग्या। उणां री शरण में आय'र अनेकूं लोग आसरौ अर अभयदान पावण लाग्या।

अैड़ौ कैयौ जावै के जोधपुर नगर बसावणिया राव जोधा ई आपरै संकट रा दिन हड़बूजी रै कनै रैय'र बिताया हा। राज जोधा जद हड़बूजी रौ सत्संग छोड़'र जावण लाग्या तौ अै राव जोधा नै औ आसीरवाद दियौ हौ के- "जद तांई थारै पेट मे ंअठै खायोड़ा मूंग रैवैला, तद तांी जित्ती ई जमीन माथै थां घोड़ौ फे लेवौला, उत्ती जमीन माथै थारै वंश रौ राज्य कायम रैवैला।" राव जोधा नै जद औ आसीरवाद फल्यौ, तौ वै हड़बूजी नै बैंगटी गाम भेंट मे ंदियौ, जिणने बाद में हड़बूजी रै वंश रा लोग भोगता रैया। औ बैंगटी गाम फलोदी सूं आथूणै पांच कोस अर पोकरण सूं दस कोस री दूरी माथै सिहड़ा गाम रै कनै आयौ थकौ है। हड़बूजी अर रामदेवजी रै आपस में घणौ सत्संग हुवतौ। दोनां में ई आपस में बौत सनेव हौ। रामदेवजी जद समाधि लेवण लाग्या तौ वां भविष्यवाणी करी के उठै कनै ई अेक खाडौ और खोद'र राखौ, क्यूं कै आठ दिनां बाद संत हड़बूजी ई अठै इज आय'र समाधि लेवैला। अर उणां री आ वात साची निकली ही। वीर हड़बूजी क्षत्रिय वंश में जनम लेय'र आपरै क्षत्रिय धरम रौ पालण करता रैया अर जद वै बालनाथजी सूं दीक्षा लेय ली तौ पछै भजन-भगती करता थका पूरी तरियां संत-महातमा बणग्या। आपरै शरीर रौ अंत वै हरि रै सुमरण करतां समाधि लेय'र करियौ। हड़बूजी आपरै साधु-जीवण में पांगली गायां रै वास्तै गाडी में घास भर-भर नै दूर-दूर सूं लाया करता हा। उणां री वा गाडी आजी फलोदी रै कनै बैंगटी गाम में पड़ी है। उमरी आज ई पूजा करीजै। इणां रा पुजारी सांखला राजपूत हूवै है। हड़बूजी जोद्धा अर सिद्ध जोगी दोनूं हा। इणां नै बौत बडा सुगनी, वचनसिद्ध अर चमत्कारी महापुरस मानिया जावै। इणां रौ खास स्थान बैंगटी (फलौदी) में है। मनौती पूरी हुयां सरधालू अठै इणां रै मिंदर में थापित 'हड़बूजी री गाड़ी' री पूजा करै है। कैयौ जावै के हड़बूजी बाबा रामदेवजी रै केवण सूं इज सस्तरां रौ त्याग करियौ अर साधु री भांत रैवण लागा। राव जोधाजी ई बिखै रौ बगत कीं हड़बूजी कनै रैय'र काढियौ। हड़बूजीरै आसीरवाद सूं इज पाछौ राज पायौ अर राव जोधा नै अेक करामाती कटार भेंट कीवी। वै अनाथ-अपाहिजां अर दीन-दुखियां रा सहारा बणिया।

हड़बूजी री विसाल मूरती मंडोर (जोधपुर) में बण्यौड़ी देवतावां री साल में आज ई ऊभी है। वियां हड़बूजी ई नीं, बाकी च्यार पीरां गोगाजी, पाबूजी, रामदेवजी अर मेहाजी री ई उणी आकारां री मूरतियां साल में ऊभी है। मंडोर रै उद्यान में अेक ऊभी चट्टान नै खोद-खोद'र बणाईजी अै सगली ई मूरतियां कोई दस-दस फूट ऊंची है। इण साल में शास्त्रोक्त देवतावांई मूरतियां है अर लोक देवतावां री ई। लोक देवतावां री सारी मूरतियां घोड़ै माथै सवार बणाईजी है। लोक देवतावां री आ साल जोधपुर महाराजा अजीतसिंह वि. सं. १७७१ मुजब सन् १७१४ ई. में बणवाई ही।