Wp/raj/अजमेर जिल्लौ
खेतरफळ | 8481 व र्ग किमी. | साक्षरता | 65.06 प्रतिशत |
समुद्र तळ सूं उंचौ | 870 मी. | आदमियां रौ भणतर | 79.96 प्रतिशत |
मेह रौ औंसत | 60.18 सेमी. | लुगायां रौ भणतर | 49.10 प्रतिशत |
वधतर तापमांन | 45 से.ग्रे. | नगरपाळका | |
ओछतर तापमांन | 3.06 से.ग्रे. | पंचायत समितियां | 8 |
कुळ जनसंख्या | 21,80,526 | गांव पंचायतां | 276 |
आदमियां री संख्या | 11,28,763 | राजस्व गांव | 1001 |
लुगायां री संख्या | 10,51,763 | तहसील | 9 |
ग्रामीण जनसंख्या | 13.07 लाख | ||
स्हैरी जनसंख्या | 8.74 लाख |
अजमेर
[edit | edit source]राजस्थान राज्य रौ हिवड़ौ अजमेर जिल्लौ राजस्थान राज्य रै बीच सूं 25 डिग्री 38’ सूं 26 डिग्री 50’ उतरीअक्षांश अर 73 डिग्री 54’ सूं 75 डिग्री 22’ पूर्वी देशान्तर मांय आवै. अजमेर उत्तर-पिछम रेल रा दिल्ली-अमदावाद गेला मांय छै जकौ जैपर रा दखिण-पिछम मांय लगौलग 135 किमी. आगौ छै. अजमेर मांय तारागढ़ री पहाड़ी, जीण पर किल्लौ बण्योडौ छै. जिकी निचली ढलाण पर औ स्हैर बस्योड़ो छै. पहाड़ा क मांय बसेड़ो ओ स्हैर आड़ावळ परबतमाळ रौ अेक भाग छै, जिके दखिण-पिछम में लूणी नै उगमणे भाग म बनास की साथ वाळी नदियां ब्हेवै. मुग़लां री बेगमां अर स्हेजादियां अठै आपको समै बीताती ही. इ स्हैर न इत्र रै सारु चावौ बणावा म बाकौ बड़ौ हाथ हौ. कियो जाव छै कि नुरजहां गुलाब रौ इत्र बणायो हो अर लोग केवै कि बीकी मां गुलाब को इत्र बणायो हौ. अजमेर म पान री खेती भी होवे छै. इकी मेहक अर सुवाद गुलाब ज्यांन को होवे छै.
ओळख
[edit | edit source]अजमेर स्हैर रौ नांव अजयमेरू का नाम पर राख्यो गयो छै. जिकी थापना 7मीं शताब्दी मांय अजयपाळ चौहाण करी ही। अजमेर सू 10 किमी. दूरो अजयपाळ रौ मिन्दर आज ईं अजमेर रै थरपणहार की याद दिलावे छै. 12मीं सदी म राजा अजयराज रा समै ओ अेक मैताऊ नगर बणग्यो हो. बोही अजमेर म तारागढ पे एक मजबूत किलो बणवायो हो। बिने ही अजमेर रो सही संस्थापक मान्यो जावे है। राजा अजयदेव चौहान न 1100 ई. म अजमेर री स्थापना करी ही। स्यात पुष्कर और अनासागर झील कन होबा सूं अजयदेव न अपणी राजधाणी का नाम अजयमेर (मेर या मीर—झील, जिंया कश्यपमीर=काश्मीर) रख्यो हो। वांने तारागढ़ पर एक क़िलो गढ़-बिटली नाम सूं बणवायो हो। जिने कर्नल टाड अपणे सुप्रसिद्ध ग्रंथ म राजपूताणे री कुँजी (चाबी) केहयो है। जिला रो मुख्यालयअजमेरहै । जिला अधिकारी वर्तमान म श्रीवैभव गलारिया है। इतिहास
अजमेर म, 1153 म पेहला चौहान राजा बीसलदेव न एक मन्दिर बणवायये हो , जिने 1192 ई. म मुहम्मद ग़ोरी नष्ट कर दियो और बिकी जगह पे अढ़ाई दिन को झोंपड़ा नाम की मस्जिद बणवाई दी थी। कुछ विद्वानों खेवे है, कि इणरो निर्माण करावा वाळो कुतुबुद्दीन ऐबक हो। केणात है, कि आ इमारत अढ़ाई दिन म बणकर तैयार हुई ही, पण इतिहासविदों को खेबो है, कि इको ओ नाम के पड़बा को कारण इ जगह पे मराठा रा समै म लागवा वाळा अढ़ाई दिन का मेळा सूं पड़यो है। इ इमारत री क़ारीगरी विशेषकर भाटा री नक़्क़ाशी प्रशंसा लायक है। इणसूं पेहली 1124 ई. म सोमनाथ जाती बखत महमूद ग़ज़नवी अजमेर माय होकर गया हो मुहम्मद ग़ौरी जद 1192 ई. म भारत पे पेलो हमलो करियो हो, बी समै अजमेर पृथ्वीराज रे राज्य रो एक बड़ो नगर हो। पृथ्वीराज सूं पराजय के बाद दिल्ली पे मुसलमानां को अधिकार होबा के साथ ही बांको अजमेर पर भी क़ब्ज़ो हो गयो हो और फेर दिल्ली के भाग् के साथ-साथ अजमेर के भाग् को भी निपटारो होतो रहयो हो। 1193 म दिल्ली रा ग़ुलाम वंश इने अपणा अधिकार म ले लियो हो। मुग़ल बादशाह अकबर न अजमेर सूं घणो लगाव हो, क्योंकि मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा में बिकी घणी आस्था ही। एक बार बो आगरा सूं पगा-पगा चालकर दरग़ाह री ज़ियारत करबा आयो हो। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं सदी म ईरान सूं भारत आया हा। अकबर और जहाँगीर न इ दरग़ाह रे कन्नै ही मस्जिदें बणवाई थीं। शाहजहाँ ने अजमेर ने अपणी अस्थायी रेबा की जगह बणवाई ही। कन्ने री तारागढ़ री पहाड़ी पे भी बणी एक दुर्ग-प्रासाद रो निर्माण करवायो हो, जिने विशप हेबर भारत रो जिब्राल्टर कियो हो। आ पक्की ही कि राजपूता रा काळ म अजमेर को आपणी खास स्थिति रे कारण राजस्थान रो नाक़ो मान्यो जातो हो। अजमेर क कन्नै ही अनासागर झील है, जिकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली सूं आकृष्ट हो शाहजहाँ अठे संगमरमर रो महल बनवायो हो। आ झील अजमेर-पुष्कर रा गेला म है। 1878 म अजमेर भाग न मुख्य आयुक्त का भाग अजमेर-मेरवाड़ा रूप म एक जगह करियो गयो और दो अलग-अलग इलाक़ा म बाँट दियो गयो हो। इमें सूं बड़े म अजमेर और मेरवाड़ उपखण्ड हो और दक्षिण-पूर्व म छोटा केकड़ी उपखण्ड हो। 1956 म यो राजस्थान राज्य रो हिस्सो बण गयो हो। आबा-जाबा रा साधन
अजमेर आबा के लिए सबसे बढि़या रेल रो साणन है। दिल्ली सूं दिल्ली-अहमदाबाद एक्सप्रेस सूं आसानी और अराम सूं अजमेर आयो जा सके है। रेल रे अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 हाइवे सूं आपणे खूद रा साधन सूं भी बेहरोड और जयपुर होता हुए अजमेर आ सके है। खेती और खनिज पदार्थ
खेती अठे रो मुख्य व्यवसाय है और खासकर मक्का, गेहूँ, बाजरो, चना, कपास, तिलहन, मिर्ची अर कान्दा बोया जावे हैं। अठे अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती भाटा री खुदाई भी हावे है । उद्योग और व्यापार
सड़क और रेल मार्ग सू जुड़ेडो अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़ा और खेती रा उत्पादनो रो प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और अठे तिलहन, होज़री, ऊन, जूता-चप्पल साबुन अर दुआई आदि सू जूडेडा छोटा-छोटा अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ा री
रंगाई अर बुनाई अर आपणे हस्तशिल्प रे लिए परसिद है।
प्रमुख देखबा री जागा
[edit | edit source]दौलत बाग,अनासागर,तार्थराज पुष्कर जठे ब्रमाजी रो मिन्दर है। अजमेर म दरगाह शरीफ है और खियो जावे है कि आ बार्इ जगह है जठे सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुदीन चिश्ती आखिरी बार आराम फरमायो हो। उठे लोग दूर-दूर सूं दरशन करबाने आवे है। हजरत ख्वाजा हूसेन चिश्ती रो मकबरो,हजरत अलाउदीन चिश्ती रो मकबरो,गौरी कुण्ड ,नारेली तीरथ,अढाई दिन रो झोपडो, फायसागर, अकबर रो किलो आदि