Wp/raj/अजमेर
'अजमेर राजस्थान राज्य रो हिवड़ो अजमेर जिला राजस्थान राज्य रे बीच मूं 25 डिग्री 38’ से 26 डिग्री 50’ उतरीअक्षांशएवं 73 डिग्री 54’ से 75 डिग्री 22’ पूर्वी देशान्तर मय स्थित हैं। अजमेर उत्तर-पश्चिमी रेल रा दिल्ली-अहमदाबादगेला माय हैं जो जयपुर रा दक्षिण-पश्चिम में लगभग 135 किमी. दूरो हैं। अजमेर में तारागढ़ री पहाड़ी, जी पर क़िलो बनेड़ो है। जिकी निचली ढलान पर ओ शहर बसेड़ो है। पहाड़ा क माय बसेड़ो ओ शहर अरावली पर्वतमाला रो एक भाग है, जिके दक्षिण-पश्चिम में लूणी व पूर्वी भाग म बनास की साथ वाळी नदियाँ बेवह हैं। मुग़लों री बेगमा और शहजादियाँ अठे आपको समै बीताती ही। इ शहर न इत्र के लिए प्रसिद्ध बणावा म बाकों बहुत बड़ा हाथ हो । कियो जाव है कि नुरजहाँ गुलाब रो इत्र बणायो हो और कुछ लोगों खेवह कि बीकी मां गुलाब को इत्र बणायो थो । अजमेर म पान री खेती भी होवे है। इकी महक और स्वाद गुलाब जियान को होवे है।
परिचय
[edit | edit source]अजमेरशहर रो नाम अजयमेरू का नाम पर राख्यो गयो हैं। जिकी स्थापना 7 वीं शताब्दी में अजयपाल चौहान करी ही। अजमेर सू 10 किमी. दूरो अजयपाल रो मिन्दर आज भी अजमेर रे संस्थापक की याद दिलावे हैं। 12 वीं सदी म राजा अजयराज रा समै ओ एक महत्वपूर्ण नगर बणग्यो हो। बोही अजमेर म तारागढ पे एक मजबूत किलो बणवायो हो। बिने ही अजमेर रो सही संस्थापक मान्यो जावे है। राजा अजयदेव चौहान न 1100 ई. म अजमेर री स्थापना करी ही। स्यात पुष्कर और अनासागर झील कन होबा सूं अजयदेव न अपणी राजधाणी का नाम अजयमेर (मेर या मीर—झील, जिंया कश्यपमीर=काश्मीर) रख्यो हो। वांने तारागढ़ पर एक क़िलो गढ़-बिटली नाम सूं बणवायो हो। जिने कर्नल टाड अपणे सुप्रसिद्ध ग्रंथ म राजपूताणे री कुँजी (चाबी) केहयो है। जिला रो मुख्यालयअजमेरहै । जिला अधिकारी वर्तमान म श्रीवैभव गलारिया है। इतिहास
अजमेर म, 1153 म पेहला चौहान राजा बीसलदेव न एक मन्दिर बणवायये हो , जिने 1192 ई. म मुहम्मद ग़ोरी नष्ट कर दियो और बिकी जगह पे अढ़ाई दिन को झोंपड़ा नाम की मस्जिद बणवाई दी थी। कुछ विद्वानों खेवे है, कि इणरो निर्माण करावा वाळो कुतुबुद्दीन ऐबक हो। केणात है, कि आ इमारत अढ़ाई दिन म बणकर तैयार हुई ही, पण इतिहासविदों को खेबो है, कि इको ओ नाम के पड़बा को कारण इ जगह पे मराठा रा समै म लागवा वाळा अढ़ाई दिन का मेळा सूं पड़यो है। इ इमारत री क़ारीगरी विशेषकर भाटा री नक़्क़ाशी प्रशंसा लायक है। इणसूं पेहली 1124 ई. म सोमनाथ जाती बखत महमूद ग़ज़नवी अजमेर माय होकर गया हो मुहम्मद ग़ौरी जद 1192 ई. म भारत पे पेलो हमलो करियो हो, बी समै अजमेर पृथ्वीराज रे राज्य रो एक बड़ो नगर हो। पृथ्वीराज सूं पराजय के बाद दिल्ली पे मुसलमानां को अधिकार होबा के साथ ही बांको अजमेर पर भी क़ब्ज़ो हो गयो हो और फेर दिल्ली के भाग् के साथ-साथ अजमेर के भाग् को भी निपटारो होतो रहयो हो। 1193 म दिल्ली रा ग़ुलाम वंश इने अपणा अधिकार म ले लियो हो। मुग़ल बादशाह अकबर न अजमेर सूं घणो लगाव हो, क्योंकि मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा में बिकी घणी आस्था ही। एक बार बो आगरा सूं पगा-पगा चालकर दरग़ाह री ज़ियारत करबा आयो हो। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं सदी म ईरान सूं भारत आया हा। अकबर और जहाँगीर न इ दरग़ाह रे कन्नै ही मस्जिदें बणवाई थीं। शाहजहाँ ने अजमेर ने अपणी अस्थायी रेबा की जगह बणवाई ही। कन्ने री तारागढ़ री पहाड़ी पे भी बणी एक दुर्ग-प्रासाद रो निर्माण करवायो हो, जिने विशप हेबर भारत रो जिब्राल्टर कियो हो। आ पक्की ही कि राजपूता रा काळ म अजमेर को आपणी खास स्थिति रे कारण राजस्थान रो नाक़ो मान्यो जातो हो। अजमेर क कन्नै ही अनासागर झील है, जिकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली सूं आकृष्ट हो शाहजहाँ अठे संगमरमर रो महल बनवायो हो। आ झील अजमेर-पुष्कर रा गेला म है। 1878 म अजमेर भाग न मुख्य आयुक्त का भाग अजमेर-मेरवाड़ा रूप म एक जगह करियो गयो और दो अलग-अलग इलाक़ा म बाँट दियो गयो हो। इमें सूं बड़े म अजमेर और मेरवाड़ उपखण्ड हो और दक्षिण-पूर्व म छोटा केकड़ी उपखण्ड हो। 1956 म यो राजस्थान राज्य रो हिस्सो बण गयो हो। आबा-जाबा रा साधन
अजमेर आबा के लिए सबसे बढि़या रेल रो साणन है। दिल्ली सूं दिल्ली-अहमदाबाद एक्सप्रेस सूं आसानी और अराम सूं अजमेर आयो जा सके है। रेल रे अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 हाइवे सूं आपणे खूद रा साधन सूं भी बेहरोड और जयपुर होता हुए अजमेर आ सके है। खेती और खनिज पदार्थ
खेती अठे रो मुख्य व्यवसाय है और खासकर मक्का, गेहूँ, बाजरो, चना, कपास, तिलहन, मिर्ची अर कान्दा बोया जावे हैं। अठे अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती भाटा री खुदाई भी हावे है । उद्योग और व्यापार
सड़क और रेल मार्ग सू जुड़ेडो अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़ा और खेती रा उत्पादनो रो प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और अठे तिलहन, होज़री, ऊन, जूता-चप्पल साबुन अर दुआई आदि सू जूडेडा छोटा-छोटा अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ा री
रंगाई अर बुनाई अर आपणे हस्तशिल्प रे लिए परसिद है।
प्रमुख देखबा री जागा
[edit | edit source]दौलत बाग,अनासागर,तिर्थराज पुष्कर जठे ब्रह्माजी रो मिन्दर है। अजमेर म दरगाह शरीफ है और खियो जावे है कि आ बार्इ जगह है जठे सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुदीन चिश्ती आखिरी बार आराम फरमायो हो। उठे लोग दूर-दूर सूं दरशन करबाने आवे है। हजरत ख्वाजा हूसेन चिश्ती रो मकबरो,हजरत अलाउदीन चिश्ती रो मकबरो,गौरी कुण्ड ,नारेली तीरथ,अढाई दिन रो झोपडो, फायसागर, अकबर रो किलो आदि भी जठे जिल्लौ में होवे।