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Wp/mag/सरदार हरि सिंह नलवा

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हरि सिंह नलवा
ਹਰੀ ਸਿੱਘ ਨਲੂਆ

सरदार हरि सिंह नलवाके ब्रिटिश सङ्ग्रहालयमे स्थित चित्र
नाम हरि सिंह नलवा
उपनाम बाघ मार
जन्म १७९१
गुजराँवाला, सिख साम्राज्य
मृत्यु १८३७
जमरूद, सिख साम्राज्य
निष्ठा सिख साम्राज्य
सेवा/शाखा सिख खालसा सेना
सेवा वर्ष 1804–1837
उपाधि
  • सिख खालसा सेनाके जनरल
  • अफगान फ्रण्टियर के साथे कमाण्डर-इन-चीफ (1825–1837)
नेतृत्व
  • कश्मीरके गवर्नर (दीवान) (1820–1)[1][1]
  • हाजराके गवर्नर (दीवान) (1822–1837)[1]
  • पेशावरके गवर्नर (दीवान) (1834-5, 1836–7)[1]
युद्ध/झड़प
  • कसूरके युद्ध(1807),
  • अटाकके युद्ध (1813),
  • मुल्तानके युद्ध (1818),
  • शोपियाँके युद्ध (1819),
  • मङ्गलके युद्ध (1821),
  • मनखेराके युद्ध (1821),
  • नौशेराके युद्ध (1823),
  • युद्ध सिरीकोट (1824),
  • सायदके युद्ध (1827),
  • पेशावरके युद्ध (1834)
  • जमरूदके युद्ध (1837)
सम्मान इजाजी-ए-सरदारी
सम्बन्ध
  • गुरुदयाल सिंह (पिता)
  • धर्म कौर (माता)

सरदार हरि सिंह नलवा (ਹਰੀ ਸਿੱਘ ਨਲੂਆ ; 26 अप्रैल 1791 - 1837), महाराजा रणजीत सिंहके सेनाध्यक्ष हलथिन जे पठान के विरुद्ध कैल गेल ढेर युद्धके नेतृत्व कैलथिन । रणनीति आउ रणकौशलके दृष्टिसे हरि सिंह नलवाके तुलना भारतके श्रेष्ठ सेनानायकसे कैल जा सकऽ है । ऊ कसूर, सियालकोट, अटक, मुल्तान, कश्मीर, पेशावर आउ जमरूदके जीतके पीछे हरि सिंह के नायकत्व हलै । ऊ सिख साम्राज्यके सीमाके सिन्धु नदीके परे ले जाके खैबर दर्राके मुहाना तक पहुँचा देलथिन । हरि सिंहके मृत्युके समय सिख जाट साम्राज्य के पश्चिमी सीमा जमरुद तक पहुँच चुकलै हल ।

हरि सिंह नलवा कश्मीर पर विजय प्राप्त करके अपन लोहा मनवौलथिन‌ । एही न, काबुलो पर सेना चढ़ाके जीत दर्ज कैलथिन । खैबर दर्रासे होवेवाला अफगान आक्रमणसे देश के मुक्त कैलथिन । इतिहासमे पहिल बेर होलै हल कि पेशावरी पश्तून, पञ्जाबी द्वारा शासित हल ।

हरि सिंह नलवा कश्मीर, पेशावर आउ हजाराके प्रशासक (गवर्नर) हलथिन । सिख साम्राज्य दनेसे एक मुद्रालय स्थापित कैलथिन हल ताकि कश्मीर आउ पेशावरमे राजस्व इकट्ठा कैल जा सके ।

इहो देखी

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सन्दर्भ

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  1. 1 2 3 4 Singhia (2009), पृ॰ 96