Wn/hi/पाकिस्तान अदालत ने मशाल खान की हत्या के मामले में एक व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई

From Wikimedia Incubator
< Wn‎ | hi
Wn > hi > पाकिस्तान अदालत ने मशाल खान की हत्या के मामले में एक व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई

शनिवार, १० फ़रवरी २०१८

स्थान हरिपुर, पाकिस्तान
स्थिति प्रकाशित
श्रेणी पाकिस्तान

बुधवार को, हरिपुर, पाकिस्तान के आतंक विरोठी अदालत ने पिछले साल हुए भीड़ हिंसा में मारे गए मशाल खाल के सिलसिले में एक व्यक्ति को मौत की सजा और पांच अन्य व्यक्तिओं को उम्रकैद की सजा सुनाई। 61 में से 57 फैसलों की घोषणा की गई, जो सुरक्षा कारणों के लिए बंद दरवाजों के पीछे हुई थी, और लगभग 250 पुलिस अधिकारियों और कमांडो तैनात किए गए थे।

न्यायाधीश फज़ल-ए-सुभान ने इमरान सुलतान मुहम्मद को मौत की सजा सुनाई, जो पहले अपना जुर्म कबूल कर चुके थे की उन्होंने मशाल खान को गोली मारी थी। २३ वर्षीय मशाल खान पत्रकारिता के छात्र थे, जो मरदान के अब्दुल वाली खान महाविद्यालय में पढ़ते थे, उन पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। ईशनिंदा करने वाले को पाकिस्तानी कानून के अनुसार मौत के सजा सुनाई जाती है। पिछले साल अप्रैल में मशाल खान को भीड़ हत्या में मारा गया था लेकिन जून महीने में पुलिस द्वारा किये गए जांच पड़ताल से पता चला कि वह आरोप झूठा था और उन्हें ईश निंदा का कोई सबूत नहीं मिला था। मशाल खान के कपड़े फाड़े गए थे, उन्हे दर्जनों ने मारा था, दूसरी मंज़िल से फेक दिया गया था और अंततः गोली मार दी गई थी — इस सब की वीडियो इंटरनेट पे भी डाली गई थी।

बचाव पक्ष के वकील साद अब्बासी ने कहा की 25 लोगों को तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी, और २६ को बरी कर दिया गया था। महल खान के भाई ने कहा, "हमारी मांग थी कि सभी संदिग्धों को दोषी ठहराया जाना चाहिए था [...] हम पुलिस से उन शेष संदिग्धों को गिरफ्तार करने के लिए कहते हैं जो अभी भी काफी मात्रा में हैं और उन पर मुकदमा चलाना चाइये।"

पिछले साल, महाल खान के मौत के बाद, उनके पिता इकबाल खान ने बीबीसी उर्दू से कहा था कि, "इस मुल्क में इज़हार-ए-राइ पर, जो सही बयां करते है, उस पर पाबंधी है। ये ज़बान काटते है लोगों की। तो हम ये कहते हैं कि मार भी दिया और फिर इलज़ाम भी ऐसा लगाया।" उन्होंने यह भी कहा कि "ये अकेले मेरे बेटे का मसला नहीं है। उधर जो हैना, ये मसला है कि यूनिवर्सिटी पर लोग आकर उन्होंने सरकार को चुनौती दी है। सरकार खुद अपना सवाल पूछे, या कैसे भी इन्साफ करे।"

पुलिस की जांच पड़ताल से पता चला था कि जब मशाल खान ने महाविद्यालय की बढ़ती शुल्क की आलोचना कि थी, और कहा था कि उसका कारण भ्रस्टाचार हो सकता है, तो कुछ छात्रों ने ईश निंदा का आरोप लगाया था।

स्रोत[edit | edit source]