चाउर चुरये या पकाये के बाद भात कहा जात हय।
हे ! रमेश के माई भात बनवय के बरे चूल्हा पय अदहन धरे रहू ऊ होइगा अहय वोहमा चाउर डार हाली, नाही पानी कम होइ जाये।