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Wp/mag/बैसाली

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बैसाली
वैशाली
नगर
 
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देस भारत
राज्य बिहार
मण्डल वैशाली

बैसाली अथवा वैशाली बिहारराज्यके वैशाली मण्डलमे स्थित एगो नगर हे । ऐतिहासिक स्थलके रूपमे प्रसिद्ध ई नगर मुजफ्फरपुरसे अलिगे होके १२ अक्टूबर १९७२ के वैशालीके मण्डल बनेपर एकर मुख्यालय हाजीपुर बनावल गेल । मगही, बज्जिका हियाँके मुख्यभाषा हे । ऐतिहासिक प्रमाण अनुसार वैशालियेमे बिश्वके सबसे पहिला गणतन्त्र यानि बनावल गेलहल ।[1] भगवान् महावीरके जनम स्थली होवेके कारण जैनधरमके मतावलम्बी लागि बैसाली एगो पबित्रस्थल हे ।[2] भगवान् बुद्धके ई धरती पर तीन बेर आगमन होएल, ई उनखर करमभूमियो हल । महात्मा बुद्धके समय सोलह महाजनपदमे वैशालीके स्थान मगधके समान महत्त्वपूर्ण हल । अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध आउ जैनस्थल होवेके अतिरिक्त ई स्थान पौराणिक हिन्दुतीर्थ आउ पाटलिपुत्र जैसन ऐतिहासिक स्थलके भिरु हे । प्रसिद्ध राजनर्तकी आउ नगरवधू आम्रपाली, अपन सुन्दरता लागि प्रसिद्ध हल, आउ ई नगरके समृद्ध बनावेमे एगो बड्डी सहायता करलक ।[3] आज वैशाली पर्यटको लागि बड्डी लोकप्रिय स्थान हे । वैशालीमे आज दोसर देसके ढेर मन्दिरो बनवल हे ।

इतिहास

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वैशालीके नामाकरण महाभारत काल एक राजा ईक्ष्वाकु वंशीय राजा विशालके नाम पर होलै हे । विष्णु पुराणमे ई क्षेत्र पर राज करेवाला ३४ राजाके उल्लेख है, जेकरामे प्रथम नमनदेष्टि एवं अन्तिम सुमति या प्रमाति हलन । ई राजवंशमे २४ राजा भेलन ।[4] राजा सुमति अयोध्या नरेश भगवान् रामके पिता राजा दशरथके समकालीन हलन । ईसा पूर्व सतमा शताब्दीके उत्तरी आउ मध्यभारतमे विकसित भेल १६ महाजनपदमे वैशालीके स्थान अति महत्त्वपूर्ण हलै । नेपालके तराईसे लेके गङ्गाके बीच फैलल भूमि पर वज्जी एवं लिच्‍छवीके सङ्घ (अष्टकुल) द्वारा गणतान्त्रिक शासन व्यवस्थाके आरम्भ कैल गेलै हल । लगभग छठा शताब्दी ईसा पूर्वमे एहाँके शासक जनताके प्रतिनिधि द्वारा चुनल जाये लगलन आउ गणतन्त्रके स्थापना होलै । विश्‍वके सर्वप्रथम गणतन्त्रके ज्ञान करावेवाला स्‍थान वैशालिये है । आज वैश्विक स्‍तर पर जौन लोकशाहीके अपनावल जाइत है, ऊ एहाँके लिच्छवी शासकेके देन है । प्राचीन वैशाली नगर अति समृद्ध एवं सुरक्षित नगर हलै जे एक-दोसरासे कुछ अन्तर पर बनल तीन भीत्तिसे घिरल हलै । प्राचीन ग्रन्थमे वर्णन मिलहै कि नगरके किलेबन्दी यथासम्भव ई तीनो कोटिके भीत्तिसे कैल जाये ताकि शत्रुला नगरके भीतरे पहुँचल असम्भव हो सके । चीनी यात्री ह्वेनसाङ्गके अनुसार पूरा नगरके घेरा १४ मीलके लगभग हलै ।

मौर्य आउ गुप्‍त राजवंशमे जखनि पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) राजधानीके रूपमे विकसित होलै, तखनि वैशाली ई क्षेत्रमे होवेवाला व्‍यापार आउ उद्योगके प्रमुख केन्द्र हलै । भगवान् बुद्ध वैशालीके समीप कोल्‍हुआमे अपन अन्तिम सम्बोधन देलन हल । एकर यादमे महान् मौर्य सम्राट अशोक तीसरा शताब्दी ईसा पूर्व सिंह स्‍तम्भके निर्माण करौलक हल । महात्‍मा बुद्धके महापरिनिर्वाणके लगभग १०० वर्ष बाद वैशालीमे दोसर बौद्ध परिषद् के आयोजन कैल गेलै हल । ई आयोजनके यादमे दु बौद्ध स्‍तूप बनवावल गेलै । वैशालीके समीपे एक विशाल बौद्ध मठ है, जेकरामे महात्‍मा बुद्ध उपदेश देल करहलथिन । भगवान् बुद्धके सबसे प्रिय शिष्य आनन्दके पवित्र अस्थि हाजीपुर (पुराननाम - उच्चकला) भिरु एक स्तूपमे रखल गेलै हल ।

वैशालीके महान् भारतीय दरबारी आम्रपालीके भूमिके रूपोमे जानल जा है, जे ढेर लोककथाके साथे-साथे बौद्ध साहित्योमे लौकहै । आम्रपाली बुद्धके शिष्या बन गेल हल । मनुदेव सङ्घके शानदार लिच्छवी कबीलाके प्रसिद्ध राजा हलन, जे वैशालीमे अपन नृत्य प्रदर्शनके देखेके बाद आम्रपालीके पास रहेला चाहलन ।[5] वैशालीके चौबीसमा तीर्थङ्कर भगवान् महावीरके जन्मस्थलके गौरवो प्राप्त है । जैन धर्मावलम्बीला वैशाली बड़ी महत्त्‍वपूर्ण है । एहैँपर ५९९ ईसा पूर्वमे जैनधर्मके चौबीसमा तीर्थङ्कर भगवान् महावीरके जन्‍म कुण्डलपुर (कुण्डग्राम) मे होलै हल । वज्जिकुलमे जन्मल भगवान् महावीर एहैँ २२ वर्ष के उमर तक रहलन हल । ई प्रकार वैशाली हिन्दुधर्मके साथे-साथे भारतवर्षके दु अन्य महत्त्वपूर्ण धर्मके केन्द्र हलै । बौद्ध एवं जैनधर्मके अनुयायीके इलावा ऐतिहासिक पर्यटनमे दिलचस्‍पी रखेवाला लोगोला वैशाली महत्त्‍वपूर्ण है । वैशालीके भूमि न खाली ऐतिहासिक रूपसे समृद्ध है वरन् कला आउ संस्‍कृतिके दृष्टिकोणोसे बड़ी धनी है । वैशाली मण्डलके चेचर (श्वेतपुर) से प्राप्त मूर्ति एवं सिक्का पुरातात्विक महत्त्वके है ।

पूर्वी भारतमे मुस्लिम शासकके आगमनके पूर्व वैशाली मिथिलाके कर्नाट वंशके शासकके अधीन रहलै किन्तु जल्दिये एहाँ बख्तियार खिलजीके शासन हो गेलै । तुर्क-अफगान कालमे बङ्गालके एक शासक हाजी इलियास शाह १३४५ ई॰ से १३५८ ई॰ तक एहाँ शासन कैलकै । बाबरो अपन बङ्गाल अभियान खन्नि गण्डक तटके पार अपन सैन्य टुकड़ीके भेजकै हल । १५७२ ई॰ से १५७४ ई॰ खन्नि बङ्गाल विद्रोहके कुचलेके क्रममे अकबरके सेना दु बेर हाजीपुर किला पर घेरा डालकै हल । १८मा शताब्दी खन्नि अफगान द्वारा तिरहुत कहलायेवाला ई प्रदेश पर कब्जा कैलकै ।

स्वतन्त्रता आन्दोलनके समय वैशालीके शहीदके अग्रणी भूमिका रहलै हे । बसावन सिंह, बेचन शर्मा, अक्षयवट राय, सीताराम सिंह, बैकण्ठ शुक्ला, योगेन्द्र शुक्ला नियव स्वतन्त्रता सेनानी अङ्ग्रेजी शासनके विरुद्ध लड़ाईमे महत्त्वपूर्ण भाग लेलन । स्वतन्त्रताके लड़ाई खन्नि १९२०, १९२५ एवं १९३४ में महात्मा गान्धीके वैशालीमे आगमन होलै हल । वैशालीके नगरवधू आचार्य चतुरसेनके द्वारा लिखल गेल एक रचना है जेकर फिल्मान्तरणो होलै, जेकरामे अजातशत्रुके भूमिका अभिनेता श्री सुनील दत्त द्वारा निभावल गेलै हे ।

सन्दर्भ

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  1. "संग्रहीत प्रति". मूलसे 26 नवंबर 2014 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवम्बर 2014. |archive-date= में तिथि प्राचल का मान जाँची (सहायता)
  2. "संग्रहीत प्रति". मूलसे 18 जनवरी 2015 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवम्बर 2014.
  3. Vin.i.268
  4. "वैशाली के लिच्छवी गणराज्य". मूल से 20 अगस्त 2010 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जुलाई 2010.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूलसे 21 अक्तूबर 2013 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जून 2019.