Wp/mag/योग दर्शन
योगदर्शन छौ आस्तिक दर्शन (षड्दर्शन) मे से एक है । एकर प्रणेता पतञ्जलि मुनि हथिन । ई दर्शन साङ्ख्य दर्शनके 'पूरक दर्शन' के नामसे प्रसिद्ध है । ई दर्शनके प्रमुख लक्ष्य मनुष्यके ऊ मार्ग देखावेला है जेकरा पर चलके ऊ जीवनके परम लक्ष्य (मोक्ष) के प्राप्ति कर सके । अन्य दर्शनके भाँति योगदर्शन तत्त्वमीमांसाके प्रश्न (जगत का है, जीव का है?, आदि) मे न उलझके मुख्यतः मोक्षप्राप्तिके उपाय बतावेवाला दर्शनके प्रस्तुति करऽहै । किन्तु मोक्ष पर चर्चा करेवाला प्रत्येक दर्शनके कौनो न कौनो तात्विक पृष्ठभूमि होएल आवश्यक है । अतः एकराला योगदर्शन, सांख्यदर्शनके सहारा ले है आउ ओकरा द्वारा प्रतिपादित तत्त्वमीमांसाके स्वीकार कर ले है । एहीसे प्रारम्भेसे योगदर्शन, साङ्ख्यदर्शनसे जुड़ल है ।[1]
प्रकृति, पुरुषके स्वरूपके साथे ईश्वरके अस्तित्वके मिलाके मनुष्य जीवनके आध्यात्मिक, मानसिक आउ शारीरिक उन्नतिला दर्शनके एक बड़ व्यावहारिक आउ मनोवैज्ञानिक रूप योगदर्शनमे प्रस्तुत कैल गेलै हे । एकर प्रारम्भ पतञ्जलि मुनिके योगसूत्रसे होवऽहै । योगसूत्र सबके सर्वोत्तम व्याख्या व्यास मुनि द्वारा लिखित व्यासभाष्यमे प्राप्त होवऽहै । एकरामे बतावल गेलै हे कि कौन प्रकार मनुष्य अपन मन (चित) के वृत्ति सब पर नियन्त्रण रखके जीवनमे सफल हो सकऽहै आउ अपन अन्तिम लक्ष्य निर्वाणके प्राप्त कर सकऽहै ।
योगदर्शन साङ्ख्य नियन द्वैतवादी है । साङ्ख्यके तत्त्वमीमांसाके पूर्ण रूपसे स्वीकारैत ओकरामे केवल 'ईश्वर' के जोड़ दे है । एहीसे योगदर्शनके 'सेश्वर साङ्ख्य' (स + ईश्वर साङ्ख्य) कहल जा है आउ साङ्ख्यके 'निरीश्वर साङ्ख्य' कहल जा है ।[2]
एकरो देखथिन
[edit | edit source]सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ शोभा निगम. "भारतीय दर्शन". प॰ 145. मूलसे 23 अगस्त 2016 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जून 2016.
- ↑ "भारतीय दर्शन की रूपरेखा (प्रो हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा), पृष्ट २७०". मूलसे 21 जून 2018 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जून 2016.