Wp/mag/परम शून्य
उष्मागतिक ताप अथवा परम ताप तापके निरपेक्ष माप हे । ई उष्मागतिशास्त्रके एगो प्रमुख प्राचले हे ।
ऊष्मागतिक तापके ऊष्मागतिशास्त्रके तृतीय नियमके सहायतासे परिभाषित कैल जाहे जेकरामे सैद्धान्तिक रूपसे जे सबसे कम ताप सम्भव हे ओकरा शून्य बिन्दु (परम शून्य) कहल जाहे । 'परम शून्य' न्यूनतम सम्भव ताप हे आउ एकरासे कम कौनो ताप सम्भव न हे । ई ताप पर पदार्थके अणुके गति शून्य हो जाहे । एकर मान -२७३ डिग्री सेण्टीग्रेड होवहे ।
प्रमात्रा यान्त्रिकीके भाषामे कहल जाये त परम शून्य ताप पर पदार्थ अपन 'ग्राउण्ड स्टेट' मे होवहे जे न्यूनतम ऊर्जाके अवस्था हे ।
ऊष्मागतिक तापके दु कारणसे 'परम ताप' कहल जाहे । पहिला कारण ई हे कि केल्विन प्रस्तावित कैलन कि परम ताप कौनो पदार्थ विशेषके गुण पर निर्भर न करे । दोसर कारण ई है कि आदश गैसके गुणोके अनुसार ई परम शून्यके इङ्गित करहे ।
परम तापक्रम : कार्नो इञ्जिनके दक्षता ओकर सिलिण्डरमे भरल पदार्थ आउ ओकर अवस्था पर आश्रित न होवे आउ खाली भट्ठी (स्रोत) एवं सङ्घनित्र (कुण्ड) के ताप पर निर्भर रहहे । ई चलते लार्ड केल्विन सुझाओ देलन कि एकरे तापमापनके आधार बनावल उचित होत । ई नवीन मापक्रममे भट्ठीसे कार्नो इञ्जिन द्वारा शोषित उष्मा Q1 आउ सङ्घनित्रके देल उष्मा Q2 अनुपात उनखर ताप T1 आउ T2 के अनुतापके बराबर होवहे । अर्थात्
- Q1/ Q2 = T1/T2
कार्नोके इञ्जिन आदर्श मात्र हे, व्यावहारिक न । अतः ई मापक्रमो व्यावहारिक न हो सकहे । किन्तु सिद्धान्तानुसार आदर्श गैसके मापक्रमके ताप पूर्वोक्त उष्मागतिकी अथवा परम पैमानाके तापके बराबर होवहे, अत: आदर्श गैस मापक्रमके काममे लेल जाहे । किन्तु एकर प्रामाणिकता उष्मागतिकी मापक्रमे पर आधारित हे ।
इहो देखी
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