Wp/mag/द्वितीय आङ्ग्ल-सिख युद्ध
द्वितीय आङ्ग्ल-सिख युद्ध Second Anglo-Sikh War | |||||||
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![]() पञ्जाबके भौगोलिक मानचित्र | |||||||
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योद्धा | |||||||
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द्वितीय आङ्ग्ल-सिख युद्ध पञ्जाबके सिख प्रशासित क्षेत्र वाला राज्य तथा अङ्ग्रेजके इस्ट इण्डिया कम्पनीके बीच १८४८-४९ के बीचे लड़ल गेलै हल । एकर परिणाम स्वरूप सिख राज्यके सम्पूर्ण भाग अङ्ग्रेजी राजके अङ्ग बन गेलै ।
परिचय
[edit | edit source]मुल्तानके गवर्नर मूलराज, 'उत्तराधिकार दण्ड' माङ्गल जाए पर त्यागपत्र दे देलथिन । परिस्थिति सम्भारे, लाहौर दरबार द्वारा खान सिंहके साथे दु अङ्ग्रेज अधिकारी भेजल गेलै, जेकर हत्या हो गेलै । तदन्तर मूलराज विद्रोह कर देलकै । ई विद्रोह द्वितीय सिख युद्धके एक आधार बनलै । राजमाता रानी जिन्दा के सिखके उत्तेजित करेके सन्देह पर शेखपुरामे बन्दी बना देलकै हल । अखनि विद्रोहमे सहयोग देवेके अभियोग पर ऊ पञ्जाबसे निष्कासित कर देल गेलै । एकरासे सिख मे तीव्र असन्तोष फैलना अनिवार्य हलै । अन्ततः कैप्टन ऐबट के साजिश के फलस्वरूप, महाराजाके भावी श्वसुर, वयोवृद्ध छतर सिंह अटारीवालो बगावत कर देलकै । शेरो सिंह अपन विद्रोही पिताके साथ देलकै । एही विद्रोह सिख युद्धमे परिवर्तित हो गेलै ।
- प्रथम सङ्ग्राम (१३ जनवरी १८४९) चिलियाँवालामे होलै । ई युद्धमे अङ्ग्रेजके सर्वाधिक क्षति होलै । सङ्घर्ष एतना तीव्र हलै कि दुनो पक्ष अपन विजयी होवेके दावा कैलकै ।
- द्वितीय मोर्चा (२१ फरवरी) गुजरातमे होलै । सिख पूर्णतया पराजित होलै; तथा १२ मार्चके ई कहके कि आज रणजीत सिंह मर गेलै, सिख सिपाही आत्मसमर्पण कर देलकै । २९ मार्चके पञ्जाब अङ्ग्रेजी साम्राज्यके अङ्ग घोषित हो गेलै ।
इहो देखी
[edit | edit source]सन्दर्भ
[edit | edit source]- ↑ Singh, Khushwant (2004-11-18), "Second Anglo-Sikh War", A History of the Sikhs, Oxford University Press, पप॰ 66–82, अभिगमन तिथि 2022-10-06